संसद : संसद के बजट सत्र के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी हंगामा होना तय दिख रहा था। ऐसा ही हुआ। इस बार विचित्र यह है कि विपक्ष के साथ सत्तापक्ष भी हंगामा कर रहा है। राहुल गांधी ने पिछले दिनों अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान भारतीय लोकतंत्र पर जो अवांछित टिप्पणियां कीं, उन्हें लेकर सत्तापक्ष उनसे माफी की मांग कर रहा है। सत्तापक्ष के सदस्य राहुल गांधी पर हमलावर होकर जिस तरह सदन नहीं चलने दे रहे हैं, वह इसलिए अप्रत्याशित है, क्योंकि आम तौर पर सत्तारूढ़ दल ऐसा नहीं करता। सत्तापक्ष के रवैये से यह साफ है कि वह अदाणी मामले पर मोदी सरकार को घेरने की कांग्रेस की रणनीति के जवाब में राहुल गांधी को घेर रहा है।
निःसंदेह राहुल गांधी ने लंदन में भारतीय लोकतंत्र के बारे में जो कुछ कहा, उसका समर्थन नहीं किया जा सकता। उनका यह कहना बेहद आपत्तिजनक है कि भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया है और फिर भी अमेरिका एवं यूरोप कुछ नहीं कर रहे हैं। इससे यही ध्वनित हुआ कि वह यह चाहते हैं कि अमेरिका और यूरोप को भारत में हस्तक्षेप करना चाहिए। यह सांसद के तौर पर राहुल की ओर से ली गई उस शपथ का उल्लंघन है, जिसके तहत देश की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रखने का वचन लिया जाता है।
भाजपा के अन्य नेताओं के साथ पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी राहुल गांधी पर अपने राजनीतिक हमले तेज कर दिए हैं। इसके जवाब में कांग्रेस जहां अदाणी मामले की जांच जेपीसी से कराने पर अड़ गई है, वहीं वह प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस लेकर भी आ गई है। यह स्पष्ट है कि विपक्ष अदाणी मामले की जांच जेपीसी से कराने की मांग पर जैसे-जैसे जोर दे रहा है, वैसे-वैसे सत्तापक्ष राहुल की माफी की मांग तेज करता जा रहा है। यदि दोनों पक्ष अपनी-अपनी मांग पर अड़े रहे तो संसद का चलना कठिन ही होगा।