हितेश्वर सिंह को मनाने में मुख्यमंत्री भी असफल; चुनाव लडऩे पर अडिग, कार्यालय भी खोला

बंजार और कुल्लू विधानसभा क्षेत्र का चुनाव लडऩा रोचक ही नहीं, बल्कि भाजपा के प्रत्याशियों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हुआ है।

Update: 2022-10-24 01:35 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बंजार और कुल्लू विधानसभा क्षेत्र का चुनाव लडऩा रोचक ही नहीं, बल्कि भाजपा के प्रत्याशियों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हुआ है। टिकट न मिलने से रूष्ट नेताओं की बागावत ने प्रत्याशियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा हाईकमान को सोचने पर मजबूर कर दिया है। जिला के कुल्लू और बंजार विधानसभा क्षेत्र में डैमेज कंट्रोल करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अचानक गत शनिवार शाम को भुंतर तो पहुंचे, लेकिन रूष्ट नेताओं को मनाने में मुख्यमंत्री असफल हुए हैं। इस बात का खुलासा तो उसी वक्त हुआ था,, जब नेता यहां मुख्यमंत्री की बैठक में ही स्वयं शामिल नहीं हुए। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें, तो न तो मुख्यमंत्री हितेश्वर सिंह को मना पाए और न ही राम सिंह को। दोनों ने भाजपा से टिकट मांगा था और दोनों टिकट से बाहर हो गए। अब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। बैठक में हालांकि हितेश्वर सिंह की ओर से उनकी धर्मपत्नी विभा सिंह मौजूद रहीं, लेकिन राम सिंह बैठक में नहीं आए। हितेश्वर सिंह पर काफी देर तक चर्चा भी हुई, लेकिन सब चर्चा विफल रही। हितेश्वर सिंह जनता द्वारा लिए गए फैसले पर अडिग हैं। यही नहीं, मुख्यमंत्री की बैठक के दूसरे दिन यानि रविवार को बंजार विधानसभा क्षेत्र के सैंज में हितेश्वर सिंह ने कार्यालय भी खोला। कार्यालय खोलने से इस बार का जिक्र हुआ है कि वह चुनाव किसी भी हालात में लड़ेंगे। वहीं, उनका चुनाव में खड़ा होना भाजपा के प्रत्याशी के लिए खतरे की घंटी बना हुआ है। नामांकन के बाद हितेश्वर सिंह ने गांव-गांव में अपना प्रचार जारी रखा है। जिस तरह से हितेश्वर सिंह अडिग रहे हैं, इससे यह साबित हुआ है क मुख्यमंत्री के साथ-साथ कुल्लू सदर के भाजपा प्रत्याशी महेश्वर सिंह भी अपने पुत्र को नहीं मना पाए हैं। बंजार में हितेश्वर सिंह भाजपा के प्रत्याशी सुरेंद्र शौरी के लिए खतरा बने हैं। वहीं, 25 अक्तूबर को राम सिंह ने कुल्लू सदर से नामांकन दाखिल किया, तो यह महेश्वर सिंह के लिए चुनौती बनेंगे। बता दें कि मुख्यमंत्री ने यहां भाजपा नेताओं के साथ डैमेज कंट्रोल करने की रणनीति को लेकर आए थे, लेकिन दोनों नेता अडिग़ हैं और चुनाव रण में उतरेंगे। हालांकि महेश्वर सिंह, विभा सिंह और सुरेंद्र शौरी के साथ मुख्यमंत्री ने भुंतर में एक निजी होटल में डैमेज कंट्रोल को लेकर काफी लंबी चर्चा भी की। (एचडीएम)

रूष्ट नेताओं की बगावत बनी चुनौती
अब टिकट न मिलने से रूष्ट नेताओं की बगावत भाजपा प्रत्याशियों के लिए चुनौती से कम नहीं है। वहीं, हितेश्वर सिंह की धर्मपत्नी ने गत रविवार को यह कहा कि मुख्यमंत्री ने हितेश्वर सिंह को बैठक में बुलाया था, लेकिन वह श्रीकोट पंचायत में गए थे और ऑउट ऑफ रीच थे, जिस कारण बैठक में वह नहीं आए, लेकिन वह उनकी तरफ से मुख्यमंत्री की बैठक में शामिल रहीं।
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