शिमला: हिमाचल प्रदेश में पांच साल पहले एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत अनुदान राशि भुगतान में हुए घपले को लेकर चार्जशीट प्रकरण में उद्यान निदेशक डॉ. एचएस बवेजा ने सचिव कृषि एवं उद्यान को ब्योरा भेजा है। बवेजा का कहना है कि हिमाचल सरकार से उन्हें कोई चार्जशीट नहीं मिली। उन्होंने आरोपों को खारिज किया है। अनुदान राशि भुगतान में अनियमितता रोकने के लिए उन्होंने स्वयं विजिलेंस में शिकायत दर्ज कराई थी। सचिव कृषि एवं उद्यान शैलेश बगोली को भेजे पत्र में निदेशक ने कहा कि डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में उनकी मूल नियुक्ति है। वर्ष 2016-17 की अवधि में हिमाचल में निदेशक उद्यान पद पर रहे। ठियोग क्षेत्र के बालाघर में एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत एक कंपनी की ओर से कोल्ड स्टोरेज लगाया गया। इसमें 6.39 करोड़ की अनुदान राशि देने से पहले संयुक्त निरीक्षण समिति का गठन किया गया।
समिति की रिपोर्ट के बाद ही कंपनी को सब्सिडी का भुगतान किया जाना था। इस बीच वह विदेश भ्रमण पर गए थे। एमआईडीएच निदेशक ने बिना समिति की रिपोर्ट के कंपनी को सब्सिडी राशि का भुगतान कर दिया। अनियमितता करने पर उन्होंने विजिलेंस को प्रकरण की जांच के लिए भेजा था।
निदेशक ने कहा कि उत्तराखंड में प्रतिनियुक्ति पर आने के लिए हिमाचल सरकार और डॉ. वाईएस परमार विश्वविद्यालय ने एनओसी प्रदान की है। यदि उनके ऊपर किसी भी तरह के आरोप होते तो उन्हें एनओसी नहीं दी जाती। बवेजा ने कहा कि उन्हें हिमाचल सरकार की ओर से कोई चार्जशीट नहीं मिली है।