शिमला। ओल्ड पेंशन बहाली पर सर्विस कमेटी की बैठक तय नहीं हो पाई है। ओपीएस पर तैयार मसौदे की फाइल अभी भी वित्त और ऊर्जा विभाग के बीच फंसी हुई है। शुक्रवार को सर्विस कमेटी पर दोनों विभागों के सचिवों को फैसला लेना था, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। इससे ओपीएस बहाली का फैसला एक बार फिर से फंस गया है। बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने 30 अक्तूबर को राज्य सम्मेलन की घोषणा की है और इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यातिथि के तौर पर निमंत्रण देने की तैयारी चल रही है। बिजली बोर्ड कर्मचारी इस सम्मेलन को धर्मशाला में हुई ओपीएस आभार रैली की तर्ज पर शिमला में आयोजित करना चाहते हैं और इसके लिए एसोसिएशन ने अपने स्तर पर प्रयास भी तेज कर दिए हैं, लेकिन इस रैली से पहले बोर्ड में ओल्ड पेंशन बहाली के फैसले का इंतजार किया जा रहा है और इस क्रम में गत 30 सितंबर को कर्मचारी एसोसिएशन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिल चुके हैं। इस दौरान उन्होंने ओल्ड पेंशन बहाली पर फैसला जल्द करने के साथ ही राज्य अधिवेशन की जानकारी भी मुख्यमंत्री को दी है।
राज्य अधिवेशन की तारीख तय होने के बाद दबाव विभागों का जिम्मा संभाल रहे सचिवों पर भी आन पड़ा है। बिजली बोर्ड में ओल्ड पेंशन पर मुहर वित्त, ऊर्जा और बोर्ड प्रबंधन की मंजूरी के बाद ही लगेगी। इसके लिए सर्विस कमेटी का होना अनिवार्य है, लेकिन ओल्ड पेंशन को लेकर अभी भी यह बैठक तय नहीं हो पाई है। बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के महासचिव हीरालाल वर्मा ने बताया कि बोर्ड का राज्य अधिवेशन 30 अक्तूबर को होगा। इसके लिए फिलहाल शिमला का चयन किया गया है। मुख्यमंत्री इस अधिवेशन में बतौर मुख्यातिथि शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यह अधिवेशन धर्मशाला में हुई आभार रैली की तर्ज पर होगा, लेकिन इससे पूर्व राज्य सरकार को ओल्ड पेंशन बहाली पर फैसला करना पड़ेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से आह्वान किया है कि वह वित्त और ऊर्जा विभाग के सचिवों को जल्द से जल्द फाइल निपटाने और सर्विस कमेटी की बैठक बुलाने का निर्देश दें। उधर, वित्त विभाग के सचिव मनीष गर्ग का कहना है कि बिजली बोर्ड में ओल्ड पेंशन की फाइल पर फैसला अकेले वित्त विभाग को नहीं करना है, बल्कि इसमें ऊर्जा विभाग की भी बड़ी भूमिका है। ऊर्जा विभाग सीधे तौर पर इस फैसले से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाया जाएगा।