शिमला: हिमाचल प्रदेश की पांच मंडियों में ग्रेडिंग व पैकिंग की मशीनें लगाई जाएंगी। इसके लिए केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को 1.90 करोड़ का बजट जारी हुआ है। ये मशीने शिमला के पराला, रोहड़ू, भट्टाकुफर, सोलन के परवाणू और कुल्लू जिला की मनाली मंडी में लगाई जानी हैं। शिमला की मंडियों में सेब की ग्रेडिंग-पैकिंग के लिए मशीन लगेगी। कुल्लू के मनाली में लाहुल-स्पीति के हाइब्रिड आलू बीज के लिए मार्केटिंग बोर्ड ग्रेडिंग पैकिंग की मशीन लगाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। मशीनों को लगाने के लिए निगम ने टेंडर कॉल कर दिए हैं। यहां पर पहले भी लाहुल-स्पीति के हाइब्रिड आलू बीज की ग्रेडिंग-पैकिंग के लिए मशीन की व्यवस्था की गई है। आलू की अधिक पैदावार और डिमांड को देखते हुए मार्केटिंग बोर्ड ने यहां पर दो और नई मशीनें लगाने का फैसला लिया है, ताकि यहां के किसान-बागबानों को उत्पादों के अच्छे दाम मिल सकें।
प्रदेश में अभी निजी क्षेत्र में ग्रेडिंग-पैकिंग की सुविधा प्रदान की जा रही है। यह सुविधा अभी सेब की ग्रेडिंग-पैकिंग के लिए ही उपलब्ध है। मार्केटिंग बोर्ड ने मनाली में आलू की ग्रेडिंग-पैकिंग के लिए मशीन स्थापित की है, जिसका अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिल रहा है। प्रभावित होकर निगम ने अब सेब-आलू के बाद गेहूं और अन्य फलों की ग्रेडिंग पैकिंग की मशीनें लगाने का फैसला लिया है, ताकि कृषि पैदावार की वैल्यू एडिशन को बढ़ावा दिया जा सके। ग्रेडिंग पैकिंग की मशीन से एक ओर जहां उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ावा मिलेगा। मार्केटिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर ने कहा कि किसान-बागबानों को उत्पादन के अच्छे दाम मिल सकें, इसके लिए निगम पांच मंडियों में 1.90 करोड़ रुपए की लागत से ग्रेडिंग-पैकिंग मशीन लगाने जा रहा है।
किसानों-बागबानों को महंगी लेबर से छुटकारा: मंडियों में गेडिंग-पैकिंग मशीन से किसान-बागबानों को महंगी होती लेबर से भी छुटकारा मिलेगा। मशीनों के माध्यम से काम होने के बाद गलती की भी कोई संभावना नहीं रहेगी। इससे उत्पादों की इनपुट कॉस्ट भी बढ़ेगी। लाहुल-स्पीति के आलू बीज की अगर बात की जाए, तो इसकी देश भर में काफी डिमांड है।