हिमाचल में महिलाओं के लिए विधानसभा की राह मुश्किल
हिमाचल प्रदेश विश्व में भी अपनी विशेष पहचान रखता है, लेकिन आजादी के 75वें वर्ष तक लोकतंत्र के पर्व में हिमाचल की नारी शक्ति की हिस्सेदारी बहुत कम है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश विश्व में भी अपनी विशेष पहचान रखता है, लेकिन आजादी के 75वें वर्ष तक लोकतंत्र के पर्व में हिमाचल की नारी शक्ति की हिस्सेदारी बहुत कम है। ऐसे में विधानसभा चुनावों में उनकी जीत का प्रतिशत भी कम ही रहा है। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में महिला विधायकों का जीत प्रतिशत मात्र पांच फीसदी है, जो कि राष्ट्रीय जीत प्रतिशत सात के मुकाबले काफी कम है। वहीं, हिमाचल प्रदेश में अब तक चुने गए राज्य के कुल 807 विधायकों में महिलाओं के हिस्से मात्र 38 बार ही विधायक की कुर्सी आई है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कई बार भाजपा ने अधिक महिला उम्मीदवार उतारे, लेकिन अधिक सफलता हाथ नहीं लग पाई, जबकि 1985 के बाद कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ी कोई न कोई महिला विधायक बनकर विधानसभा जरूर पहुंची है। हालांकि ओवरऑल हिमाचल में मात्र पांच फीसदी हिस्सेदारी पर ही महिलाएं सिमट कर रह गई है। हिमाचल में विधानपालिका में महिलाओं की भागीदारी की शुरुआत वर्ष 1967 को दूसरी विधानसभा चुनावों में हुई थी। इसमें कुल 267 उम्मीदवारों में से दो महिलाओं ने भी चुनावी मैदान में हुंकार भरी थी, जिसमें दोनों ही महिलाओं को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि तीसरे विधानसभा चुनावों में 1972 में राज्य को पहली महिला विधायक के रूप में विद्या स्टोक्स ने जीत दर्ज कर इतिहास रचा था।