अभी छठी से बारहवीं कक्षा तक पढ़ाया जाता है विषय, पहली से जरूरी होगी कला शिक्षा, एनसीईआरटी ने की सिफारिश

नई शिक्षा नीति आने के बाद अब स्कूलों के पाठ्यक्रम में कई सुधार किए जा रहे हैं।

Update: 2022-09-26 06:30 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नई शिक्षा नीति आने के बाद अब स्कूलों के पाठ्यक्रम में कई सुधार किए जा रहे हैं। स्कूली पाठ्यक्रम आधुनिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और कला का मिश्रण होगा। नए पाठ्यक्रम में कोडिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ-साथ बच्चों को कला-शिक्षा की शिक्षा भी दी जाएगी। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और परीक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सभी स्कूलों में कला शिक्षा के अनिवार्य शिक्षण की सिफारिश की है। इसके लिए सभी स्कूलों में कला शिक्षकों की भी नियुक्ति की जाएगी। कला शिक्षा के एक शिक्षक के लिए एक न्यूनतम योग्यता भी निर्धारित की जाएगी। एनसीईआरटी के कला एवं सौंदर्यबोध विभाग ने यह सिफारिश ऐसे समय की है, जब नए स्कूली पाठ्यक्रम को तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। इस सिफारिश में न सिर्फ कला को एक विषय के रूप में सभी स्कूलों में पढ़ाने की सिफारिश की गई है, बल्कि इसके मूल्यांकन को जरूरी बताते हुए परीक्षा परिणाम में इनके अंकों को जोडऩे की पैरवी भी की है।

कला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एनसीईआरटी कला शिक्षा में चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स शुरू करने की तैयारी में जुटी है। माना जा रहा है कि अगले साल से शुरू होने वाले चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्सों के साथ इसे भी शुरू कर दिया जाएगा, जिसमें 12वीं तक कला की पढ़ाई करने वाले छात्र सीधे दाखिला ले सकेंगे। वैसे तो अभी तक चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड के तहत बीए-बीएड, बीएससी-बीएड व बीकाम-बीएड जैसे कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव था। अब बीए-बीएड इन आर्ट एजुकेशन भी शुरू होगा। इसके साथ ही स्कूलों में कला की पढ़ाई के लिए नया पाठ्यक्रम भी तैयार होगा। यह सारी पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आने के बाद शुरू की गई है। एनसीईआरटी ने कला शिक्षा को एक विषय के रूप में पढ़ाने की सिफारिश की है। इसके साथ ही कला शिक्षा का मूल्यांकन आवश्यक बताते हुए इसके अंकों को परिणाम में जोडऩे की बात भी कही गई है, ताकि सभी छात्र और शिक्षक इस विषय को लेकर गंभीर हो सकें।
अभी तक नहीं थी कोई गाइडलाइन
अभी तक कला शिक्षा को लेकर राष्ट्रीय स्तर की कोई गाइडलाइन नहीं थी। कोई भी राज्य इसे लेकर गंभीर नहीं था। साथ ही एक कला शिक्षक के लिए कोई न्यूनतम शिक्षा निर्धारित नहीं की गई थी। हालांकि, यूपी, बिहार, उत्तराखंड और कई अन्य राज्यों में कला से संबंधित छात्र आंदोलन हुए हैं, लेकिन स्कूलों में अनिवार्य विषय के रूप में शुरू किया जाएगा
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