धर्मशाला। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने शनिवार को कांगड़ा जिले के थेकचेन, मैक्लोडगंज व धर्मशाला में गांधी मंडेला फाऊंडेशन (जीएमएफ) द्वारा आयोजित एक ऐतिहासिक समारोह में धर्मगुरु दलाईलामा को गांधी मंडेला पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि अङ्क्षहसा और करुणा विश्व शांति के लिए आवश्यक हैं और ये दोनों सिद्धांत हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति में रचे-बसे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान युद्ध में नहीं, बल्कि बातचीत और शांति के माध्यम से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विश्व शांति के लिए हमें अहिंसा और करुणा का मार्ग अपनाना होगा। ये दोनों सिद्धांत मानव अस्तित्व की मार्गदर्शक शक्तियां हैं।
दलाईलामा ने गांधी मंडेला पुरस्कार प्रदान करने के लिए फाऊंडेशन का आभार व्यक्त किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें दलाईलामा को सम्मानित करने का अवसर मिला। इससे पहले न्यायमूॢत केजी बालकृष्णन, जूरी के अध्यक्ष और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा बड़े समुदाय के रक्षक हैं और युवा पीढ़ी को दलाईलामा की शिक्षाओं का अनुसरण करना चाहिए। जूरी के उपाध्यक्ष और सर्वाेच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूॢत ज्ञान सुधा मिश्रा ने कहा कि धर्मगुरु ने पूरे विश्व को शांति का मार्ग दिखाया है। विश्व में व्याप्त अशांति के दौर में दलाईलामा ने शांति का उपदेश दिया जो हमें यह बताता है कि शांति स्थापित करके सभी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। गांधी मंडेला फाऊंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम जाजू ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।