हिमाचल प्रदेश में आपदा के बीच लोगों के सामने एक और मुसीबत खड़ी हो गई है। भवन सामग्री के दाम बढ़ने से नया आशियाना बनाना महंगा हो गया है। दूसरी ओर प्रदेश में डीजल पर तीन रुपये वैट बढ़ाने से भी भवन निर्माण की सामग्री के दाम चढ़ गए हैं। इस वजह से बीते दिनों आई बाढ़ में तबाह हुए भवन, होटल, दुकानों को नए सिरे से बनाना महंगा हो गया है।
भारी बारिश और ब्यास में बाढ़ से जिला कुल्लू में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। सड़कों, बिजली व पेयजल स्कीमों को भारी नुकसान हुआ है। सैकड़ों मकानों और दुकानों का नामोनिशान मिट गया है। इन मकानों को दोबारा बनाने के लिए लोगों को जेब ढीली करनी होगी।
भवन निर्माण सामग्री के दामों में बढ़ोतरी की वजह से होटल, मकान और दुकानें बनाने में खासा बजट व्यय करना होगा। खासकर बजरी, रेत और ईंटों के दाम में भी वृद्धि हो गई है। टिपर और ट्रक मालिक शुभम चौहान कहते है कि पांच से छह माह पूर्व पहले बजरी का टिपर 6,000 रुपये में आता था, अब 6,500 से 7,000 रुपये में मिल रहा है।
रेत में भी 1,000 रुपये टिपर तक इजाफा हो हुआ है। सड़कें बाधित होने से सप्लाई करने में भी खासी मुश्किलें हो रही हैं। समय पर सामग्री उपलब्ध नहीं हो रही है। सरिया के कारोबारी मनोज ने कहा कि ट्रकों की आवाजाही वक्त पर नहीं हो रही है और डीजल में बढ़ोतरी की वजह से सरिया और ईंटों के रेट बढ़े हैं। कुल्लू में छह माह पहले एक ईँट का रेट 9.50 रुपये था, जो अब 10 रुपये हो गया है।