राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय कटराईं में बहुप्रतीक्षित पंचकर्मा चिकित्सा की सुविधा आरंभ हो गई है। इस सुविधा के शुरू होने से अब अप्पर बैली के मरीजों को अपना इलाज करवाने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। इससे पहले यह सुविधा जिला के एकमात्र आयुर्वेदिक अस्पताल ढालपुर में ही उपलब्ध थी। नतीजतन मरीजों को इलाज के लिए जिला मुख्यालय का रुख करना पड़ता था। जिसकी वजह से अप्पर बैली के ज्यादातर लोग पंचकर्मा चिकित्सा की सुविधा से वंचित रह जाते थे, लेकिन अब कटराई अस्पताल में पंचकर्मा चिकित्सा शुरू होने से लोगों को राहत मिलेगी। हालांकि इस अस्पताल का नया भवन अभी निर्माणाधीन है, जिसमें इस चिकित्सा सुविधा का संचालन होना अपेक्षित है, लेकिन मरीजों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल के पुराने भवन में ही मरीजों को पंच कर्मा चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध करवाने का फैसला लिया है।
पंचकर्मा बेहद ही कारगर उपचार पद्धति
अस्पताल के प्रभारी डा. जसविंदर कपूर ने बताया कि पंचकर्मा आयुर्वेद की एक बहुत ही प्रभावशाली चिकित्सा विधि है, जोकि मनुष्य के शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकाल कर स्वास्थ्य और नव जीवन का संचार करता है। हमारे ऋषि-मुनियों ने सदियों पहले अनेक प्रकार के उपायों की खोज की थी, उन्हीं में से पंचकर्मा भी शरीर को स्वस्थ रखने हेतु खोजी गई एक बेहद ही कारगर पद्धति है, जिसमें 5 तरह के अलग-अलग प्रयोगों द्वारा शरीर की विभिन्न बीमारियों का निदान किया जाता है और रोगी बिना किसी साइड इफेक्ट के अपने रोगों से मुक्त हो सकता है। पंच कर्मा में जिन पांच उपायों का प्रयोग होता है उन्हें स्नेहन, स्वेदन, वमन, विरेचन और बस्ती करण कहा जाता है।
जल्द तैयार होगा अस्पताल का नया भवन
खंड आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डाक्टर निताशा ठाकुर ने बताया कि कटराई स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय को पंच कर्मा चिकित्सालय का दर्जा मिला है। यह चिकित्सालय हिमाचल प्रदेश का पहला पूरी तरह से पंचकर्मा आधारित अस्पताल है। अभी चिकित्सालय का नया भवन तैयार नहीं हो पाया है, जिसका कार्य अपने अंतिम चरण में है। भवन के तैयार होते ही पंचकर्मा के लिए अलग से कमरे उपलब्ध होंगे। हालांकि पंचकर्मा विधि से चिकित्सा के लिए यहां आधारभूत ढांचा सही ढंग से खड़ा होना अभी बाकी है। पर्याप्त स्टाफ की भी कमी है। चिकित्सालय में विभिन्न पद पहले ही रिक्त चल रहे हैं। इसके अतिरिक्त प्रशिक्षित चिकित्सकों एवं सहायकों कमी है।