शिमला के रिज मैदान पर लगे स्टाल पर बिक रही बुरांस, प्लम, नाशपाती से बनी ऑर्गेनिक शराब
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के रिज मैदान पर लगे स्टाल पर इन दिनों बुरांस, प्लम, नाशपाती समेत दस अलग-अलग वानस्पतिक वस्तुओं से बनी ऑर्गेनिक शराब बिक रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के रिज मैदान पर लगे स्टाल पर इन दिनों बुरांस, प्लम, नाशपाती समेत दस अलग-अलग वानस्पतिक वस्तुओं से बनी ऑर्गेनिक शराब बिक रही है। यह बिक्री सरकार का ग्रामीण विकास विभाग आजीविका मिशन के तहत कर रहा है। मिशन के तहत लगे मेले में इसे युवा और बुजुर्ग खरीद रहे हैं। ऑर्गेनिक वाइन को खास तरीके से तैयार किया जाता है। सिक्किम के चार युवा यहां इसका खूब प्रचार कर रहे हैं। इनमें दो युवक और दो युवतियां हैं।
जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र आदि राज्यों के स्वयं सहायता समूहों के भी स्टाल लगे हैं। हिमाचल के विभिन्न हिस्सों से आए स्वयं सहायता समूह तो यहां बड़ी संख्या में हैं, मगर सबसे दिलचस्प सिक्किम का स्टाल ही है। अजांबरी स्वयं सहायता समूह के राज्य समन्वयक विनोद नेपाल के साथ इसके सदस्य चंद्रकला प्रधान, बेगम राय और संजय गुरुंग भी इस रोचक उत्पाद का प्रचार कर रहे हैं। दक्षिण सिक्किम में नेपाली भाषा में इसे मार्चा कहते हैं। उन्होंने कहा कि यह सेहत के लिए भी खराब नहीं होती है। इसका नशा भी बीयर की तरह बहुत हल्का होता है।
इन दस वस्तुओं से बनाई जाती है यह शराब
संजय गुरुंग ने बताया कि जिन दस वस्तुओं से यह शराब बनाई गई है, वे बुरांस, नाशपाती, अमरूद, प्लम, बड़ी इलायची, कटहल, केला, कृष्णकमल फल, गन्ना और पाइनएपल हैं। सबसे पहले एक चीनी को छह लीटर पानी में उबालते हैं। उसके बाद इसमें अरगाली नाम की औषधि डाली जाती है। इसे 30 से 40 दिन तक एक खास बर्तन में रखा जाता है।
प्रदर्शनी में लगाई तो इसका कोई कानूनी पचड़ा नहीं
विनोद नेपाल ने बताया कि चूंकि यह ऑर्गेनिक शराब प्रदर्शनी में लगाई गई है तो इसे बेचे जाने का कोई कानूनी पचड़ा नहीं है। हालांकि, यह देसी शराब का ही एक रूप है। इसका मकसद स्वयं सहायता समूहों को इस तरह के उत्पाद बनाने के बारे में प्रेरित करना है, जिससे रोजगार के साधन बढ़ें।