कोरोना के बाद बढ़ी मानसिक तनाव के मरीजों की संख्या

Update: 2023-10-11 11:28 GMT
शिमला। हिमाचल प्रदेश के युवा मानसिक तनाव के शिकार हो रहे है। इस बात का खुलासा आईजीएमसी के मनो चिकित्सा विभाग ने किया। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में मनो चिकित्सा विभाग के अनुसार प्रतिदिन 80 से 100 लोगो की ओपीडी होती है जो मानसिक तनाव के कारण ईलाज करवाने आते है। डॉक्टर का मानना है कि कोरोना कल के बाद यह संख्या बड़ी है। इसमे चौकाने वाली बात यह है कि ओपीडी में 50 फीसदी युवा शामिल है। आईजीएमसी में मनोचिकित्सा विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ देवेश शर्मा ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी मानसिक दवाब में आ रही है। उनके ओपीडी में 50 फीसदी युवा आते है और 10 से 15 फीसदी छोटे बच्चे आते है जो मानसिक दवाब में होते है और उनका ईलाज आईजीएमसी से चल रहा है।डॉक्टर का कहना है कि मानसिक तनाव का इलाज संभव है , लेकिन अगर कोई मानसिक रूप से बीमार है तो वह बीमारी छुपाते है। इसका मुख्य कारण एकल परिवार में रहना भी है जिसमें पति व पत्नी है उनमें अगर कोई बीमारी से ग्रस्त है तो उनकी उतनी ज्यादा देखभाल नहीं हो पा रही है। डॉ देवेश का कहना है कि जो मानसिक तनाव में रहता है उसका ईलाज सम्भव है ऐसे ब्यक्ति को समझया जा सकता है और ऐसा ब्यक्ति अपने घर ,परिवार, ऑफिस ,दोस्तों में खुल कर बात करे और कोई समस्या हो तो उनका रास्ता निकाले । ओर समय पर अस्पताल आये तो उसे ठीक किया जा सकता है।
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