राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान ने थपथपाई पीठ, चने पर बेहतरीन शोध कर रहा कृषि विश्वविद्यालय
पालमपुर
राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (एनआईपीजीआर) ने कृषि विश्वविद्यालय द्वारा चने को लेकर किए जा रहे शोध पर शाबाशी दी है। प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पहुंची राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान की निदेशक डा. सुभ्रा चक्रवर्ती ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय चना पर उत्कृष्ट शोध कार्य कर रहा है और इसके परिणाम प्रजनकों, जैव प्रौद्योगिकीविदों और किसानों को लाभान्वित करेंगे। डाक्टर सुभ्रा चक्रवर्ती (बायोटेक्नोलॉजी विभाग, चना मिशन प्रोजेक्ट की समन्वयक भी हैं) ने जीनोमिक्स-सहायता प्राप्त फसल सुधार में तेजी लाने के लिए चने के जननद्रव्य संसाधन की विशेषता और परियोजना के सह-समन्वयक डा. स्वरूप कुमार परिदा ने विवि का दौरा करते हुए परियोजना की प्रगति का निरीक्षण किया।
उन्होंने कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभागाध्यक्ष और परियोजना के प्रधान अन्वेषक डा. कमल देव शर्मा व अन्य परियोजना कर्मचारियों के साथ परियोजना गतिविधियों की योजना और निष्पादन में तेजी लाने के लिए विचार-विमर्श किया। डा. चक्रवर्ती ने कुलपति प्रोफेसर एचके चौधरी से चर्चा के दौरान बताया कि भारत में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर शोध कार्य किया जा रहा है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान सहित भारत में 15 संस्थान इस परियोजना का हिस्सा हैं। – एचडीएम
कुलपति ने अफसरों-कर्मियों को दी शुभकामनाएं
कुलपति ने टीम को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी और डा. कमल देव की सराहना की जो भारत में शीत तनाव घटक का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने टीम को उन किस्मों की पहचान करने के लिए कहा जो उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक हैं और विविधता के रूप में संभावित रिलीज के लिए उनका परीक्षण करें। उन्होंने कहा कि शोध के नतीजे गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचने चाहिए। अनुसंधान निदेशक डा. एसपी दीक्षित के साथ दो सदस्यीय टीम ने मॉलिक्यूलर साइटोजेनेटिक्स और टिश्यू कल्चर लैब का दौरा किया और क्रोमोसोम एलिमिनेशन तकनीक और सीटू हाइब्रिडाइजेशन के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।