आईजीएमसी की सरकारी लैब में ज्यादातर टेस्ट नहीं हो रहे, जांच करने वाली मशीन खराब

अस्पताल आईजीएमसी मरीजों की सुविधा के बड़े-बड़े दावे कर रहा है

Update: 2024-05-16 09:54 GMT

शिमला: राजधानी का सबसे बड़ा अस्पताल आईजीएमसी मरीजों की सुविधा के बड़े-बड़े दावे कर रहा है। वहीं, आईजीएमसी की सरकारी लैब में ज्यादातर टेस्ट नहीं हो रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से यहां की सरकारी लैब में लिवर और किडनी की जांच करने वाली मशीन खराब हो गई है. जिसके कारण लोग निजी लैब से जांच कराने को भी मजबूर हैं। मशीन खराब होने के कारण यहां लिवर, किडनी व शुगर की जांच नहीं होती है. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने निजी कृष्णा लैब में नियमित रूप से सैंपल की जांच करायी. आईजीएमसी में मेडिसिन, सर्जरी, ऑर्थो, न्यूरो सर्जरी, यूरोलॉजी, बाल रोग, मनोरोग सहित विभिन्न ओपीडी में रोजाना हजारों मरीजों की जांच की जाती है।

शुरुआती जांच के बाद डॉक्टर मरीजों को लिवर, किडनी, शुगर समेत कई जांच कराने की सलाह देते हैं, लेकिन मंगलवार को जब मरीज फॉर्म लेकर नई ओपीडी में पहुंचे तो कहा गया कि जांच निजी कृष्णा लैब में होगी। . इसकी सूचना मिलने के बाद कई मरीज पुरानी बिल्डिंग स्थित निजी कृष्णा लैब में पहुंच गये. हालांकि, यहां उन्हें बताया गया कि सिर्फ नई ओपीडी में ही सैंपल लेने का प्रावधान है। जिससे मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि, कई मरीजों का कहना था कि अगर नोटिस चिपका दिया गया होता तो उन्हें परेशानी नहीं होती. अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि नए ओपीडी ब्लॉक में ही निजी कृष्णा लैब को नियमित सैंपल लेने के निर्देश दिए गए थे, ताकि मरीजों को कोई दिक्कत न हो। इसके बाद सुबह 9.30 बजे से शाम 4 बजे तक रूटीन सैंपल लिए गए।

पुरानी मशीनों से इलाज चल रहा है: अस्पताल की बायोकेमेस्ट्री लैब में लगी मशीन वर्षों पुरानी है। स्थिति यह है कि ये मशीनें अपनी मियाद पूरी करने पर पहुंच गई हैं। हालांकि इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को भी है, लेकिन नयी मशीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है. यही वजह है कि पुरानी मशीनों पर ही सैंपलिंग की जा रही है। बताया जा रहा है कि इंजीनियर को बुलाया गया है. मशीन के पार्ट्स भी बाहर से आने हैं, वे कब आएंगे, इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

नई ओपीडी में नई मशीन की मांग: आईजीएमसी को नई ओपीडी मिले और यहां इलाज शुरू हुए काफी समय हो गया है। हालांकि, यहां अभी भी नई मशीनों की कमी है। मरीजों का इलाज अभी भी पुरानी मशीनों से किया जा रहा है। ऐसे में पुरानी मशीनें कभी भी खराब हो जाती हैं और मरीजों को इलाज के लिए निजी लैब का रुख करना पड़ता है। ऐसे में मरीजों की मांग है कि अस्पताल प्रशासन नई ओपीडी में नई मशीनें लगाए, ताकि समय पर इलाज मिल सके.

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