मंडी जिले में मिड डे मील कर्मियों ने किया प्रदर्शन

Update: 2023-05-27 06:52 GMT

मंडी न्यूज़: मिड-डे मील वर्कर ने पिछली बीजेपी सरकार से 10 महीने की जगह पूरे 12 महीने का वेतन देने की मांग की थी. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मध्याह्न भोजन कर्मियों की इस मांग को अनसुना कर दिया था. जबकि हाई कोर्ट ने मिड-डे मील वर्कर को 12 माह का वेतन देने का फैसला सुनाया था. अब राज्य की कांग्रेस सरकार को इस फैसले को लागू करना चाहिए और मिड डे मील कर्मियों को पूरे 12 महीने का वेतन देना चाहिए। यह मांग शुक्रवार को सीटू के बैनर तले धरना-प्रदर्शन के दौरान मिड-डे मील वर्कर ने उठाई है. वहीं सीटू ने मिड-डे मील कर्मियों की छटनी पर भी राज्य सरकार को घेरा। सीटू का कहना है कि मिड डे मील वर्कर पिछले 20-20 साल से स्कूलों में मिड डे मील बनाने का काम कर रहे हैं और अब स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने और स्कूल बंद होने के कारण उन्हें हटाया जा रहा है.

सीटू ने इसका विरोध करते हुए मध्यान्ह भोजन कर्मियों की छंटनी रोकने के लिए नीति बनाने और उन्हें विभाग में ही विलय करने की मांग उठाई है. इस मौके पर सीटू जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार राज्य सरकार मिड-डे मील कर्मियों को 10 माह की बजाय 12 माह का वेतन दे. उन्होंने कहा कि मध्यान्ह भोजन कर्मी बिना किसी अवकाश के लगातार अपनी सेवाएं दे रहा है और हैरानी की बात है कि विभाग मध्यान्ह भोजन कर्मी को तीन से चार महीने बाद वेतन दे रहा है. उन्होंने राज्य सरकार से मांग उठाई है कि हरियाणा की तर्ज पर मध्यान्ह भोजन कर्मियों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की तरह साल में 20 छुट्टियां, वर्दी और वेतन के साथ दिया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार को मिड-डे मील कर्मियों को भी विभागीय कर्मचारी बनाने की नीति बनानी चाहिए।

Tags:    

Similar News

-->