कक्षा के कमरे में पकाया जाता है मिड डे मील, बच्चे नहीं कर पाते सही ढंग से अपने पाठ याद, फिर....
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हिमाचल प्रदेश के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में सुविधाओं की कमी बच्चों पर भारी पड़ रही है। कसुम्पटी प्राथमिक स्कूल में तीसरी कक्षा के कमरे में मिड डे मील पकाया जाता है। बच्चे सही ढंग से अपने पाठ भी याद नहीं कर पाते, कारण कक्षा के एक कोने में रखा दाल का कुकर बीच-बीच में सीटियां मारकर उनका ध्यान भटका रहा है। संवाददाता नरेंद्र एस कंवर ने स्कूल का जायजा लिया। पेश है लाइव रिपोर्ट:-
हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर की कसुम्पटी प्राथमिक पाठशाला। समय दोपहर : 12:04 बजे। तीसरी कक्षा के विद्यार्थी कमरे में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। इसी कमरे के एक कोने में मिड डे मील पकाया जा रहा। कुकर की बज रही सीटियां विद्यार्थियों का ध्यान भटका रही हैं। भवन की कमी के चलते यहीं पर रसोई सजाई गई है। लकड़ी की अलमारियां लगाकर
दूसरी तरफ गैस पर खाना बन रहा है। आज मिक्स दाल और चावल बन रहे हैं। गैस सिलिंडर में अगर आग भड़क जाए तो यहां सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं है।
न ही दमकल उपकरण स्थापित किए हैं। तीसरी कक्षा के कमरे में ही चावल की बोरियां रखकर इसे मिड डे मील का स्टोर भी बनाया है। प्राथमिक स्कूल में 168 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं लेकिन भवन की कमी के चलते बच्चों को यहां-वहां बैठाना पड़ता है। समय 12:30 बजे। प्री प्राइमरी की कक्षाएं शुरू हैं। नर्सरी कक्षा के 34 बच्चे बाहर खुले मैदान में पढ़ाई कर रहे हैं। पूछने पर बताया गया कि इन्हें बैठाने के लिए क्लास रूम नहीं है। मौसम साफ होने पर बच्चों को खुले में बैठाकर ही पढ़ाना पड़ता है।
बारिश होने पर मुख्य अध्यापिका के कमरे में ही अलमारियां लगाकर इसके दो हिस्से बनाकर यह कक्षाएं चलाई जाती हैं। नर्र्सरी के साथ ही पहली कक्षा के बच्चों को बैठाया जाता है। स्कूल में पांचवीं और दूसरी कक्षा के बच्चों को एक ही कमरे में बैठाया है। पांचवीं में 33 और दूसरी कक्षा में 22 विद्यार्थी हैं। चौथी कक्षा अलग कमरे में चलती है।
अभिभावक एवं एसएमसी के सदस्य खेमराज ने कहा कि स्कूल में एक ही कमरे में कक्षा चलाकर मिड डे मील पकाना पड़ रहा है। इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। स्कूल के लिए अलग से किचन बनाया जाए और स्कूल में बढ़ रही छात्र संख्या को देख अतिरिक्त शिक्षकों की तैनाती करें। स्कूल में चार ही शिक्षक हैं।
कसुम्पटी प्राथमिक पाठशाला की मुख्य अध्यापिका प्रेमलता रांटा ने कहा कि पिछले सत्र में 114 विद्यार्थी थे। अब यह संख्या बढ़कर 168 हो गई है। विभागीय अधिकारियों को इससे अवगत करवा दिया है। स्कूल में चार कमरे हैं, उन्हीं में कक्षाएं चलानी पड़ती हैं।
प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की घटती संख्या से चिंतित हैं। लेकिन राजधानी में स्थित प्राथमिक स्कूल कसुम्पटी की हालत सरकारें अभी तक नहीं सुधार पाई हैं। गौरतलब है कि जिले में 38 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या शून्य है। लोगों का कहना है कि जब सरकारी प्राथमिक स्कूलों में सुविधाएं ही नहीं मिलेंगी तो बच्चे दाखिला क्यों लेंगे। यही नहीं जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक है वहां भी सुधार के प्रयास नहीं हो रहे। ऐसा ही रवैया रहा तो इन स्कूलों में भी बच्चों की संख्या घटेगी। कहा कि सरकार चिंता करने के बजाय धरातल पर प्राथमिक स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास करे। कसुम्पटी स्कूल की समस्या के समाधान के लिए शिक्षा विभाग की ओर से अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है।