प्रदेश भर में लगाए जाने हैं 1900 करोड़ रुपए के मीटर, बिजली बोर्ड में दोबारा खुले स्मार्ट मीटर के टेंडर
शिमला: बिजली बोर्ड ने स्मार्ट मीटर की थम चुकी गाड़ी का इंजन दोबारा स्टार्ट कर दिया है। बोर्ड में स्मार्ट मीटर की टेंडर प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू हुई है। करीब 1900 करोड़ रुपए के स्मार्ट मीटर पूरे प्रदेश में लगाए जाने हैं। इन स्मार्ट मीटर के लिए पूर्व में भी टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन कर्मचारियों के विरोध की वजह से पूरा मामला मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू तक पहुंचा और इसके बाद टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया। अब बिजली बोर्ड ने एक बार फिर टेंडर आमंत्रित किए हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने आरडीएसएस में हिमाचल को 3700 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इस मंजूरी में करीब 1900 करोड़ रुपए स्मार्ट मीटर के लिए हैं, जबकि 1800 करोड़ रुपए आवश्यक रखरखाव पर खर्च होने हैं। बिजली बोर्ड स्मार्ट मीटर के टेंडर करने जा रहा है। स्मार्ट मीटर में केंद्र सरकार ने सबसिडी का प्रावधान किया है।
इसमें केंद्र सरकार की तरफ से प्रति मीटर 1350 रुपए दिए जाएंगे, जबकि मीटर की कीमत नौ से 10 हजार रुपए के बीच बताई जा रही है। ऐसे में केंद्र से प्रदेश को स्मार्ट मीटर में महज 390 करोड़ रुपए की ग्रांट मिलने की संभावना है, जबकि बाकी धनराशि जो करीब 1500 करोड़ रुपए होगी। बिजली बोर्ड को ऋण के माध्यम से खर्च करनी पड़ेगी। प्रदेश में इस समय 125 यूनिट बिजली मुफ्त मिल रही है। 31 मार्च तक 125 यूनिट पर न तो मीटर रेंट लग रहा था और न ही सर्विस चार्ज लिए जा रहे थे। खास बात यह है कि रखरखाव पर मिलने वाले बजट में केंद्र सरकार 90 फीसदी हिस्सा खर्च करेगी और राज्य सरकार को 10 फीसदी ही चुकाना होगा। बिजली बोर्ड ने अब फिलहाल, स्मार्ट मीटर की टेंडर प्रक्रिया शुरू की है। इसमें 3 से 11 मई तक स्मार्ट मीटर टेंडर हासिल करने के लिए आवेदन किए जा सकते हैं। उधर, बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा ने टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है।
स्मार्ट मीटर का विरोध
बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा ने कहा कि जल्द ही इस मामले पर मुख्यमंत्री से मुलाकात की जाएगी। बिजली बोर्ड के निजीकरण का यह प्रयास हो रहा है। पूर्व में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर यूनियन ने टेंडर रद्द करने का आह्वान किया था और उस समय उनकी बात सुनने के बाद टेंडर रद्द भी हो गए थे, लेकिन अब दोबारा प्रक्रिया शुरू की जा रही है। 3700 करोड़ में रखरखाव और जरूरी सुधार वाले 1800 करोड़ रुपए का यूनियन में कोई विरोध नहीं है, लेकिन स्मार्ट मीटर की खरीद बिजली बोर्ड का बजट बिगाड़ सकती है। इस पर राज्य सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।