गोहर: मक्की को पटक कर टमाटर इस बार पहले पायदान पर रहा है। मंडी जिला की बल्ह घाटी ने इस सीजन में एक किसान को टमाटर उत्पादन में करोड़पति बनने का गौरव प्रदान किया है। वहीं, गोहर व अन्य विकास खंडों में सैकड़ों किसान टमाटर की खेती करने से लखपति बन गए है। हजारों की आय तो हर टमाटर उत्पादक ने हासिल की है। मंडी जिला के दस खंडों में इस बार 200 करोड़ के लगभग टमाटर बेच कर किसानों ने एक रिकार्ड कायम किया है। इस बार समय से पूर्व आए मानसून ने पंजाब, बंगलूरू जैसे मैदानी क्षेत्रों में टमाटर की फसल को बेहद क्षति पंहुचाई। हिमाचल के मंडी, कुल्लू, शिमला व सोलन जैसे जिला में यह बाढ़ किसानों के लिए संजीवनी बनकर आई। इस बार मंडी जिला के सभी दस विकास खंडों में मात्र 695.30 हेक्टेयर रकवे में टमाटर की खेती की गई है, जिसमें किसानों को 200 करोड़ से अधिक की आय हुई है।
गोहर क्षेत्र के अग्रणी किसान मोती राम का कहना है कि वह 3-4 सालों से लगातार टमाटर की खेती कर रहे है। हर बार मौसम के बिगड़ते तेवर से उनकी फ सल कई बीमारियों की चपेट में आकर तबाह होती रही, लेकिन इस बार टमाटर के भाव में आए अचानक उछाल ने उनका पिछला कर्ज उतार लखपति बना दिया है। मोती राम ने बताया कि अब तक 15 लाख रुपए की आय हो चुकी है। इसके अतिरिक्त गोहर, मझोठी, दाण, नौण, बासा, मुसराणी, स्यांज, छपराहण, खारसी, देलग टिक्करी, सेरी व बाल्हड़ी सहित आसपास क्षेत्र के कई किसान टमाटर उत्पादन में लखपति बन गए है।
जिला भर में कितने रकवे में टमाटर की खेती
मंडी जिला के गोहर ब्लॉक में 23, सराज में 16, दं्रग 12, सदर 36, बल्ह 453 धर्मपूर 2.5, चौंतड़ा 0.3, करसोग 7.5, गोपालपुर 5 तथा सुंदरनगर ब्लाक में 140 हेक्टेयर रकवे में किसानों द्वारा खेती की गई है।
बरसात ने एकदम बढ़ाए फसल के दाम
कृषि विभाग के मंडी स्थित उपनिदेशक राकेश डोगरा का कहना है कि इस बार हिमाचल के पड़ोसी राज्यों में बरसात के चलते टमाटर फ सल को बहुत नुकसान हुआ है, जबकि प्रदेश में टमाटर के अच्छे उत्पादन को लेकर इसकी मांग हिमाचल ही नहीं बल्कि साथ लगते राज्यों में भी बढ़ गई। इससे एक हजार रुपए तक बिकने वाली टमाटर की क्रेट इस बार चार हजार तक पहुंच गई।