किसान बागबानों का जेल भरो आंदोलन शिमला में आज से होगा शुरू

प्रदेश के सेब बागबान शिमला से बुधवार को जेल भरो आंदोलन की शुरू करेंगे।

Update: 2022-08-17 02:30 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रदेश के सेब बागबान शिमला से बुधवार को जेल भरो आंदोलन की शुरू करेंगे। इस दौरान अपनी मांगों को लेकर बागबानों की ओर से बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां भी दी जाएगी। बागबानों का कहना हैं कि उन्होंने 20 सूत्रीय मांगों के लेकर सरकार को दस दिनों का समय दिया था, लेकिन सरकार की ओर से उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया हैं। ऐसे में अब बागबान जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे और गिरफ्तारियां देंगे। उधर, अदानी ने भी सरकार के आदेशों को दरकिनार करते हुए अपने स्तर पर सेब के दाम तय कर दिए हैं, जबकि सरकार ने घोषणा की थी कि नौणी यूनिवर्सिटी के कुलपति की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जाएगा। यह कमेटी अदानी समेत अन्य निजी कंपनियों के लिए सेब खरीद का दाम तय करेगी। राज्य सरकार के रवैये से नाखुश बागबानों में सरकार के प्रति रोष पनपता जा रहा है।

संयुक्त किसान मंच का आरोप है कि जिन मांगों को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने बैठक में माना था वह मांगें भी पूरी नहीं की जा रही है। मंच के संयोजक हरीश चौहान ने बताया कि मुख्य सचिव ने कहा था कि निजी घरानों के सेब के रेट नौणी यूनिवर्सिटी के कुलपति की अध्यक्षता में गठित कमेटी तय करेगी, लेकिन अदानी एग्री फ्रेश कंपनी ने सरकारी आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए स्वयं सेब के रेट तय किए है और प्रदेश सरकार अब तक कमेटी तक गठित नहीं कर पाई। सह-संयोजक संजय चौहान ने कहा कि मंडियों में बागबानों से लूट बदस्तूर पहले की तरह जारी है। एपीएमसी 7 से 10 रुपए लोडिंग-अनलोडिंग चार्जेज तय कर रखे है, जबकि मंडियों में 15 से 30 रुपए प्रति पेटी की लूट की जा रही है।
ये हैं बागबानों की मांगे
– कश्मीर की तर्ज पर सेब के लिए एमआईएस
– 44 देशों से आयातित सेब पर 100 आयात शुल्क लगाए
– कार्टन व ट्रे पर जीएसटी लौटने को लगाई जटिल शर्तें हटाएं
– कार्टन व ट्रे पर जीएसटी पूरी तरह खत्म करने
– एपीएमसी एक्ट को पूरी तरह लागू करने
– एमपीएमसीके शोघी बैरियर पर अवैध वसूली रोकने
– एमआईएस की बकाया राशि का भुगतान
– सेब बेचने वाले दिन ही बागबानों को पेमेंट दिलाई जाए
बागबानों को हल्का ले रही सरकार
यंग एंड यूनाइटेड ग्रोवर्स एसोसिएशन के महासचिव प्रशांत सेहटा का कहना है कि बागबान भारी संकट में हैं। सरकार बागबानों की समस्याओं को दूर करने की बजाए टाल मटोल कर रही हैं। बागबानों के आंदोलन को सरकार हल्के में ले रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि बागबान अभी तक शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन अब आंदोलन को उग्र किया जाएगा।
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