मुख्यमंत्री ने कहा कि जंजैहली में ईको टूरिज्म, चांशल घाटी में स्कीइंग और बीड़ बिलिंग क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग दुनिया भर के प्रकृति एवं साहसिक खेल प्रेमियों को आकर्षित करेगा। प्रदेश के जलाशयों में जल क्रीड़ा गतिविधियों को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके प्रयासों से निर्मित अटल टनल रोहतांग जहां सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, वहीं यह टनल हिमाचल आने वाले पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण साबित हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने मंडी जिले में एक वृहद धार्मिक पर्यटन परियोजना 'शिव धाम' शुरू की है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। प्रदेश सरकार की 'नई राहें, नई मंजिलें' और होम स्टे जैसी योजनाओं ने राज्य के अनछुए और अन्य पर्यटक स्थलों को प्रोत्साहन प्रदान करने मेें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब तक 3539 होम स्टे पंजीकृत किए गए हैं और होम स्टे संचालकों से बिजली की खपत पर घरेलू शुल्क लिया जा रहा है। इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा और पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का धन्यवाद किया। इस मौके पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी, श्रीपद येस्सो नाइक, संबित पात्रा, अरविंद सिंह, विनोद कुमार पॉल, जी. कमला वद्र्धन राव, राकेश कुमार वर्मा, देवेश कुमार, अमित कश्यप व कांगड़ा के उपायुक्त निपुण जिंदल भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
धर्मशाला में बन रहा देश के पर्यटन विकास का रोडमैप
धर्मशाला – देश भर के मुख्य सचिवों के साथ भारत के विकास का रोडमैप तैयार करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धर्मशाला भा गया है। देश भर के बड़े-बड़े राज्यों को छोड़ कर प्रधानमंत्री मोदी ने 16 व 17 जून को दो दिनों तक धर्मशाला में देश के विकास का रोडमैप तैयार कर हिमाचल के महत्त्व को बढ़ाया था। उसी तर्ज पर देश भर के पर्यटन मंत्रियोंं की नैशनल कांफ्रेस धर्मशाला में करवा कर प्रधानमंत्री ने देवभूमि के महत्व को बढ़ाने के साथ साथ धौलाधार की आंचल में बसे पहाड़ी राज्य के आकर्षण का महत्त्व भी पूरे देश को समझाने का संदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने भी माना है कि ऐसे आयोजन से हिमाचल के पर्यटन को नई दिशा मिलेगी और मंथन से जो निकलेगा उसे देश के अन्य राज्यों की तरह हिमाचल को भी लाभ मिलेगा। प्रदेश को इस तरह के इवेंट की मेजबानी करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उद्घाटन सत्र में बाकायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। इस आयोजन के पीछे प्रधानमंत्री की विशेष रुचि थी और इसके लिए हिमाचल को चुनना बड़ी बात है। इससे पर्यटक नगरी धर्मशाला का महत्त्व बढ़ गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री स्वयं दो दिन यहां मुख्य सचिवों के सम्मेलन के दौरान यहां रहे हैं। उससे पूर्व राष्ट्रपति भी सर्किट हाउस धर्मशाला में ठहर कर गए थे।
दिसंबर में जी-20 की तैयारी
हिमाचल में ही दिसंबर जनवरी में जी-20 का शिखर सम्मेलन की बैठक भी धर्मशाला में प्रस्तावित है। उसकी तैयारियां भी कांगड़ा जिला प्रशासन ने शुरू कर दी हैं। जी-20 की देश भर में करीब 180 बैठकें होनी हैं, जिसमें धर्मशाला का नाम भी प्रस्तावित है। ऐसे में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय आयोजन के लिए प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला बड़ा केंद्र बनकर उभर रही है। यहां की आवोहवा और वातावरण सभी को भाने लगा है। यह पर्यटन विकास की दिशा में मील का पत्थर है। एयर सहित रेलवे कनेक्टिविटी बढ़ जाए तो हिमाचल पर्यटन का हब बन जाएगा।
प्रदेश के होटलों में होगी ग्रीन स्टार रेटिंग
हिमाचल प्रदेश के होटलों के लिए ग्रीन स्टार रेटिंग इनिशिएटिव हिम गृह का शुभारंभ सोमवार को मंडी से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने किया। उन्होंने मंडी में लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपए से बनने वाले हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय एवं आवासीय भवन के शिलान्यास अवसर पर संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ठोस कचरा प्रबंधन पर 'एक कॉमिक चित्रकथा' पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने प्राकृतिक सौंदर्य और स्वच्छ पर्यावरण के लिए जाना जाता है, लेकिन इसे बरकरार रखने के लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है। जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा होटलों के लिए शुरू की गई हिमाचल प्रदेश ग्रीन स्टार रेटिंग इनिशियेटिव हिम गृह लोगों को सतत् एवं हरित प्रयासों के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चार हजार से अधिक होटल और होम-स्टे संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण से संबंधित कारोबारी प्रतिष्ठान और गतिविधियां पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। प्रदेश सरकार जैव विविधता के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण से संबंधित औद्योगिक गतिविधियों से उत्पन्न प्रदूषण को नियंत्रित किया जाना चाहिए, ताकि पारिस्थितिक संतुलन बना रहे। उन्होंने कहा कि स्वयं प्रमाणीकरण के आधार पर हिम गृह योजना पर्यटन इकाइयों को पर्यावरण के मापदंडों के अनुसार सत्यापित करेगी। इससे पर्यावरण हितैषी पहल जैसे अपशिष्ट प्रबंधन, रिसाइक्लिंग ऊर्जा दक्षता जैसे मानकों उपयोग को सत्यापित किया जाएगा।