हिमाचल के 1630 ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचेगा 4जी नेटवर्क, मिलेगी सुविधा, 500 दिन में लगेंगे 800 मोबाइल टावर

कर चीन सीमा के लाहुल-स्पीति में 4जी मोबाइल नेटवर्क सुविधा स्थापित करने के लिए भारत सरकार ने पहल की है।

Update: 2022-09-24 06:16 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कर चीन सीमा के लाहुल-स्पीति में 4जी मोबाइल नेटवर्क सुविधा स्थापित करने के लिए भारत सरकार ने पहल की है। इसके लिए हिमाचल में 800 मोबाइल टावर स्थापित किए जा रहे हैं। यह काम भारत दूरसंचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनल को दिया गया है और इसे पूरा करने के लिए 500 दिन का लक्ष्य दिया गया है। यानी 500 दिनों के भीतर 800 मोबाइल टावर लगेंगे, ताकि इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदेश के हर कोने तक पहुंचे। इनमें से 400 टावर लगाने के लिए लोकेशन फाइनल हो गई है और बाकी के लिए अभी साइट चयन का काम जारी है। इस योजना के तहत प्रदेश के कुल 1630 गांवोंं तक इंटरनेट की सुविधा पहुंचाई जाएगी। इसमें ट्राइबल का एरिया भी शामिल है। चीन सीमा से सटे लाहुल-स्पीति जिला में 46 टावर लगाए जा रहे हैं। इनमें से 28 लाहुल में और 18 स्पीति में लगेंगे। ये सभी 4जी टावर होंगे, ताकि सीमावर्ती क्षेत्र तक इंटरनेट की निर्बाध आपूर्ति होती रहे।

इसके लिए प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के तहत भी 86 करोड़ मिले हैं। यह 86 करोड सिर्फ लाहुल-स्पीति जनजातीय क्षेत्र के लिए हैं। बाकी पूरे प्रदेश में लगने वाले मोबाइल टावर का खर्चा यूनिवर्सल सर्वे ऑब्लिगेशन फंड से किया जाएगा। गौरतलब है कि हिमाचल के कई क्षेत्रों से इंटरनेट की खराब क्वालिटी की शिकायतें आती हैं और कई जगह मोबाइल पर बात करना भी अभी संभव नहीं है। यही वजह है कि भारत सरकार ने इस मामले में फोकस किया है। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के तहत देशभर में 36428 ऐसे गांव को लिया गया था, जिनमें 50 फ़ीसदी से ज्यादा आबादी जनजातीय की थी। इन्हें आदर्श ग्राम बनाने के लिए चयनित 40 मंत्रालयों से अलग से फंड दिए गए।
प्रोजेक्ट पर काम
राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय ने बताया कि बीएसएनएल इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और 500 दिन के भीतर यह 800 टावर कंप्लीट करने हैं। इस प्रोजेक्ट के जरिए राज्य के 1630 गांव तक निर्बाध इंटरनेट पहुंचाया जाएगा। जहां तक ट्राइबल क्षेत्र लाहुल-स्पीति की बात है, तो वहां 46 मोबाइल टावर अलग से स्थापित हो रहे हैं, ताकि चीन सीमा तक इंटरनेट कनेक्टिविटी का कोई मसला न रहे।
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