हिमाचल प्रदेश Himachal Pradesh : भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान (आईआईएएस) ने यहां “भारतीय लोक रंगमंच: लोगों की सांस्कृतिक विरासत का वाहक” विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में देश भर के 17 राज्यों से 30 से अधिक वक्ता ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से भाग ले रहे हैं।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता आईआईएएस शासी निकाय की अध्यक्ष शशिप्रभा कुमार ने की। संगोष्ठी की शुरुआत औपचारिक दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। आईआईएएस निदेशक और पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति आरपी तिवारी वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुए।
उद्घाटन सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय (हिंदी विभाग) के पूर्व प्रोफेसर राजेंद्र गौतम ने अपने विचार साझा किए। इसके बाद हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला के उपाध्यक्ष कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अपने संबोधन में लोक रंगमंच की सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला। शशिप्रभा कुमार ने भारतीय लोक रंगमंच के महत्व पर जोर देते हुए ऑनलाइन अध्यक्षीय भाषण दिया।
उन्होंने कहा कि संगोष्ठी का आयोजन भारतीय लोक संस्कृति की विरासत को बढ़ावा देने, लोक रंगमंच की परंपरा को पुनर्जीवित करने और नई शिक्षा नीति के तहत इसे और अधिक समावेशी बनाने के लिए किया जा रहा है। कुमार ने कहा कि संगोष्ठी के दौरान शोधकर्ता, विद्वान और विशेषज्ञ भारतीय लोक रंगमंच की परिभाषा, इसके विभिन्न रूपों, सामाजिक सरोकारों और राष्ट्र निर्माण में इसकी भूमिका पर चर्चा करेंगे।