हिमाचल प्रदेश: लीज प्रणाली याचिका पर प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव व प्रधान सचिव को जारी किया नोटिस
हिमाचल प्रदेश
शिमला, 30 सितंबर : प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में लीज प्रणाली को खत्म करने के आग्रह को लेकर दायर याचिका मे मुख्य सचिव व प्रधान सचिव (राजस्व) को नोटिस जारी किया।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने कांगड़ा जिले के राकेश कुमार की जनहित याचिका पर ये आदेश पारित किए।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार 99 की वर्षों की अवधि के लिए अपनी जमीन को पट्टे पर देने वाली प्रथा गलत और अवैध है, क्योंकि इस तरह के पट्टे की मंजूरी का मतलब स्थायी रूप से अनुदान देना होगा। प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि यह भी अवैध है कि लाभार्थियों के कानूनी वारिसों को मूल पट्टेदार के पट्टे के अधिकार विरासत में मिलते हैं। यदि ऐसी व्यवस्था जारी रहती है, तो हिमाचल प्रदेश राज्य की पूरी भूमि बाहरी लोगों द्वारा ले ली जाएगी और राज्य से संबंधित संसाधनों पर कब्जा कर लिया जाएगा। उन लोगों द्वारा इसका आनंद लिया जाएगा जो कि कानूनी तौर पर इसके हकदार नहीं हैं, जो अंततः निवासियों की अधीनता का कारण बनेंगे।प्रार्थी ने यह भी आरोप लगाया है कि कई लोगों ने इस तरह के पट्टों को आय के स्रोत में बदल दिया है।
उदाहरण के लिए पालमपुर के एक अस्पताल को प्रति वर्ष 1 रुपये का स्थायी पट्टा दिया गया है, जबकि इसके साथ भूमि की सीमा लगभग 60 कनाल है। प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि इस बात का पता लगाने की जरूरत है कि ऐसे पट्टों से सरकार को कितनी आय हो रही है, लाभार्थियों को कितनी आय हो रही है व लाभार्थियों द्वारा कितना कर अदा किया जा रहा है। इसके अलावा, यह भी पता लगाने की जरूरत है कि क्या हिमाचल प्रदेश सरकार के 99 साल पूरे होने के बाद का कोई उदाहरण है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया है कि सरकारी भूमि के ऐसे स्थायी पट्टे देने की प्रथा और प्रणाली को तत्काल समाप्त कर दिया जाए, ताकि "देवताओं की भूमि", यानी हिमाचल प्रदेश की प्राचीन धरोहर को संरक्षित किया जा सके। मामले पर दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी