हिमाचल: लाहौल स्नो फेस्टिवल पर कोरोना की मार, सांस्कृतिक उत्सव और खेल प्रतियोगिताएं पर रोक
कोरोना की तीसरी लहर का असर हिमाचल प्रदेश के लाहौल में होने वाले हिम महोत्सव पर भी पड़ा है।
कोरोना की तीसरी लहर का असर हिमाचल प्रदेश के लाहौल में होने वाले हिम महोत्सव पर भी पड़ा है। इस साल सांस्कृतिक उत्सव और खेल प्रतियोगिताएं हिम महोत्सव का हिस्सा नहीं होंगी। त्रिलोकीनाथ मंदिर में शनिवार से पूजा-अर्चना के साथ महोत्सव की शुरुआत होगी। पिछले साल शुरू हुआ और 75 दिनों तक चलने वाला मेला इस बार कोरोना के कारण सीमित तरीके से मनाया जाएगा।
लाहौल और स्पीति की कार्यवाहक डिप्टी कमिश्नर प्रिया नगटा ने कहा कि कोविड के बढ़ते मामलों और खराब मौसम के चलते समारोह को सीमित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मौसम साथ नहीं दे रहा है। लाहौल की कुछ सड़कों पर केवल 4X4 वाहन चल रहे हैं। फरवरी और मार्च में हालात की समीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि हल्दा, उडांग, फागली, लोसार, कुन, ज़ुकारू, गोची, पूना, योर, यति, बुचांग, डाला और तेशु जैसे पारंपरिक त्योहार स्थानीय लोग अपने घरों में मनाएंगे।
मेला कल त्रिलोकीनाथ मंदिर से शुरू होगा
तकनीकी शिक्षा और आदिवासी विकास मंत्री राम लाल मारकंडा ने कहा कि प्राचीन उदंग मेला, जिसे नए साल के रूप में मनाया जाता है, इस बार 7 दिनों तक सेलिब्रेट होगा। उन्होंने कहा कि मेला कल त्रिलोकीनाथ मंदिर से शुरू होगा। स्नान के बाद देवता मंदिर में प्रवेश करेंगे और सात दिनों तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें बाहरी लोगों को आमंत्रित नहीं किया गए हैं।नाबार्ड से 25 करोड़ रुपये की मंजूरी भी मिली
मंत्री ने कहा कि हमने इसे बड़े पैमाने पर मनाने की योजना बनाई थी और नाबार्ड से 25 करोड़ रुपये की मंजूरी मिल चुकी है। वर्तमान पीढ़ी को पारंपरिक संस्कृति से जोड़ने के लिए भी बदलाव किए गए। उन्होंने कहा, "त्योहार का मुख्य उद्देश्य घाटी की धार्मिक मान्यताओं और स्थानीय रीति-रिवाजों को दिखाना है। भविष्य में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इस महोत्सव में शीतकालीन खेलों को भी जोड़ा जाएगा। पर्यटकों को आकर्षक और अछूते स्थानों पर ले जाया जाएगा।"