हिमांचल प्रदेश: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से करीब 400 किलोमीटर दूर स्थित हिमाचल प्रदेश के शिमला जाने में सड़क मार्ग से आमतौर पर 7 घंटे लगते हैं, लेकिन अब यहां पहुंचने में 10 घंटे लग रहे हैं. इस पहाड़ी राज्य में बीते दिनों हुई मूसलाधार बारिश के बाद आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन के कारण हालात बेहद खराब है. वहीं इतिहास की इस सबसे भीषण प्राकृतिक आपदा से शिमला सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है.
हिमाचल में बीते एक महीने के दौरान ज्यादा कुछ सुधार नहीं हुआ है और पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय यह राज्य वापस पटरी पर लौटने के लिए संघर्ष कर रहा है. पंजाब या इसकी सीमा से लगे किसी अन्य राज्य से हिमाचल में जैसे ही आप दाखिल होते हैं तो आपको भूस्खलन के कारण मलबे से भरी कई सड़कें दिखेंगी. इनमें से कई जगहों पर, जेसीबी मशीनें और सड़क साफ करने वाले अन्य उपकरण रास्ते को खोलने की कोशिश में कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
सुरक्षित आसरा ढूंढना भी मुश्किल
आम तौर पर इस पहाड़ी राज्य के लिए अगस्त सुहावने मौसम वाला महीना है, लेकिन इस बार आपको छुट्टियों पर हिमाचल आने से पहले दो बार सोचना पड़ सकता है. चारों ओर दिख रही ढही इमारतों को देखकर सही बसेरे का फैसला करना भी आपके लिए मुश्किल भरा काम साबित हो सकता है.
इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि CNN-News18 की टीम ने मंडी के पास एक होटल बुक किया, जो मूसलाधार बारिश से अत्यधिक प्रभावित जिलों में से एक है. जब टीम होटल पहुंची तब तो सड़कें अच्छी हालत में थीं, लेकिन अगली सुबह होटल के बगल की सड़क पर दरारें दिखने लगी थीं.
किसी भी राज्य में विकास के लिए सड़कों और सुचारू यातायात प्रवाह को खासा अहम माना जाता है. यह बात पहाड़ी क्षेत्रों पर कुछ ज्यादा ही लागू होती है, जहां दैनिक आवागमन केवल सड़कों के जरिये ही संभव है. लेकिन हिमाचल में मूसलाधार बारिश और भूस्खलन के कारण ज्यादातर हाईवे, मेन रोड और इससे जुड़ने वाली छोटी सड़कें सब चौपट दिख रही हैं. उदाहरण के लिए रूट डायवर्जन के कारण शिमला से मंडी पहुंचने में अब छह से सात घंटे लग रहे हैं. इस दूरी को तय करने में आमतौर पर पहले चार घंटे लगते थे.
पर्यटन पर बुरा असर
टूरिज्म सेक्टर हिमाचल प्रदेश की रीढ़ रही है और इसका योगदान 11,000 करोड़ रुपये है, जो राज्य की कुल जीडीपी का 7.5 प्रतिशत हिस्सा है. एक स्थानीय कारोबारी ने News18 को सामान्य पर्यटक वर्ष की तुलना में इस वर्ष अपनी कमाई के बारे में बताया. शिमला के मॉल रोड पर एक छोटे से ढाबे के मालिक अजय ने बताया कि इस साल उनकी रोजाना की कमाई लगभग 300 रुपये से 400 रुपये रह गई है, जो पहले आम तौर पर रोजाना लगभग 3,000 रुपये से 5,000 रुपये रहती थी.
स्थानीय लोग अपनी दुकानें चलाने में संघर्ष कर रहे हैं और अपनी जीवन भर की जमा पूंजी खर्च कर रहे हैं. पिछले 40 वर्षों से शिमला में रह रहे मिथलेश ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार कारकों के बारे में बात करते हुए कहा कि राज्य पर अत्यधिक बोझ है, जो ‘डूबते शिमला’ का मुख्य कारण है.
शिमला के नगर निकाय के अनुसार, वर्ष 2020 में मॉल रोड पर साल भर में 13 लाख 36 हजार 685 लोग आए थे और 2030 तक यह बढ़कर 16 लाख 29 हजार 412 हो जाने की उम्मीद है. वहीं अगर आप 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर गौर करें, तो हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या 68,65,000 है, जबकि शिमला की जनसंख्या 8,14,000 थी और यह क्रमश: 1.22 प्रतिशत और 1.19 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही है. पर्यावरणविदों और शहरी योजनाकारों का कहना कि यह संख्या पहाड़ी राज्य की क्षमता से कहीं अधिक है.
कांग्रेस-बीजेपी में खींचतान जारी
इस बीच सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी सियासी खींचतान में लगे हुए हैं. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ से राज्य सरकार को करीब 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार से तत्काल आर्थिक सहायता की जरूरत है.