कांस्टेबल की याचिका पर हाई कोई का आदेश, 30 दिन में दें सारे लाभ
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सचिव कार्मिक और पुलिस महानिदेशक की कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी की है। याचिकाकर्ता को फिजूल में ही मुकदमेबाजी में घसीटने का व्यवहार किया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सचिव कार्मिक और पुलिस महानिदेशक की कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी की है। याचिकाकर्ता को फिजूल में ही मुकदमेबाजी में घसीटने का व्यवहार किया है। न्यायाधीश त्रिलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की है। अदालत ने सुरक्षा रांटा की याचिका को स्वीकार करते हुए उसे वर्ष 2009 से 2015 तक सारे वित्तीय लाभ दिए जाने के आदेश दिए हैं। ये लाभ 30 दिनों के भीतर देने होंगे अन्यथा अदालत ने नौ फीसदी ब्याज देने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने अपने आदेशों की अनुपालना 27 अक्तूबर के लिए तलब की है। याचिकाकर्ता अमित की माता सुरक्षा रांटा वर्ष 2000 से कांस्टेबल के पद पर थी। वर्ष 2002 में उसे हैड कांस्टेबल पदोन्नत्त किया गया था। वर्ष 2009 से उसे एएसआई के पद पर पदोन्नत्त किया जाना था। उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने की वजह से उसे पदोन्नत नहीं किया गया। वर्ष 2015 मेें उसे आपराधिक मामले से बरी किया गया था। उसके बाद विभाग ने उसे वितीय लाभ से वंचित रखते हुए 2009 से पदोन्नत्त कर दिया। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि विभाग का यह निर्णय गलत है।