शिमला: प्रदेश हाई कोर्ट ने राजनीतिक दबाव बनाकर अपने मनपसंद स्टेशनों पर खुद की तैनाती चाहने वाले फार्मासिस्टों को ऐसे स्थानों पर ट्रांसफर करने के आदेश दिए, जहां उन्होंने कभी भी सेवाएं न दी हो। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता अंजुल कुमार की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश जारी किए। मामले के अनुसार प्रार्थी फार्मासिस्ट अंजुल कुमार का तबादला 31 अगस्त, 2022 को पीएचसी गाह घोरी झंडूता ब्लॉक से सीएचसी बरठीं जिला बिलासपुर को किया गया था। प्रार्थी के स्थान पर सीएचसी बरठीं में तैनात फार्मासिस्ट कमल किशोर के तबादला आदेश जारी किए थे। स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त निदेशक के 12 सितंबर, 2022 को जारी आदेशानुसार 31 अगस्त को जारी आदेशों को निरस्त कर दिया , जिसके तहत प्रार्थी का तबादला किया था।
अतिरिक्त निदेशक के आदेशों को प्रार्थी ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपने तबादला आदेशों पर अमल की मांग की थी। प्रार्थी का आरोप था कि उसके तबादला आदेश डीओ नोट के माध्यम से प्रतिवादी ने रद्द करवाए। मामले की सुनवाई के दौरान प्रतिवादी ने कोर्ट को बताया कि प्रार्थी ने जो तबादला आदेश जारी करवाए थे वे भी डीओ नोट के आधार पर जारी करवाए गए थे। रिकार्ड के मुताबिक कोर्ट ने इस तथ्य को सही पाया । कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकार्ड का अवलोकन करने पर पाया कि दोनों ही फार्मासिस्ट राजनीतिक दबाव से खुद को मनपसंद स्टेशनों पर तैनाती के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। इस कारण कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर दोनों फार्मासिस्टों को ऐसे स्थानों पर ट्रांसफर करने के आदेश दिए जहां उन्होंने कभी काम न किया हो।