हाईकोर्ट ने 22 तक मांगा जवाब, एमसी शिमला की वोटर्स लिस्ट से जुड़े मामले में सरकार व आयोग को नोटिस

हाईकोर्ट ने 22 तक मांगा जवाब

Update: 2022-08-08 16:36 GMT
शिमला: नगर निगम (एमसी) शिमला की वोटर्स लिस्ट से जुड़े मामले (Voter List of MC Shimla) में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. मामले के अनुसार नगर निगम शिमला की वोटर्स लिस्ट में बाहरी विधानसभा के वोटर्स को मतदान से रोकने वाले प्रावधान को एक याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है. कुणाल वर्मा नामक याचिकाकर्ता (Hearing on Kunal Verma petition) ने उक्त प्रावधान को चुनौती दी है. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायधीश चंद्रभूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. सरकार व आयोग को 22 अगस्त को जवाब दाखिल करना होगा.
अदालत में दाखिल याचिका के मुताबिक राज्य सरकार के शहरी विकास विभाग ने इसी साल 9 मार्च को एक अधिसूचना जारी की थी. कुणाल वर्मा का कहना है कि इस अधिसूचना के प्रावधानों से नगर निगम शिमला की परिधि में 20 हजार से अधिक मतदाता प्रभावित होंगे. अधिसूचना लागू होने से ऐसे मतदाताओं को वोटर्स लिस्ट से हटा दिया जाएगा. वो इस तरह कि नगर निगम शिमला का शहरी क्षेत्र हिमाचल की तीन विधानसभाओं अर्थात शिमला (शहरी), कुसुम्पटी, शिमला (ग्रामीण)तक फैला हुआ है. इधर, नगर निगम शिमला का मौजूदा कार्यकाल 18 जून को पूरा हो गया था.
प्रार्थी का कहना है कि वो एमसी शिमला की वोटर्स लिस्ट में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहता था, लेकिन शहरी विकास विभाग की अधिसूचना के आधार पर उसे वोटर्स लिस्ट में बतौर वोटर पंजीकृत होने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है. प्रार्थी का आरोप है कि ऐसा पहली बार किया गया है. इस प्रावधान के अनुसार यदि कोई मतदाता उस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता के रूप में पंजीकृत है, जो एमसी शिमला का हिस्सा नहीं है, तो उसे यहां वोटर के रूप में अयोग्य घोषित किया जाएगा. शहरी विकास विभाग की अधिसूचना से हिमाचल प्रदेश नगर निगम चुनाव नियम-2012 के नियम 14, 16 और 26 में संशोधन हो गया है.
इस संशोधन से अन्य विधानसभा क्षेत्रों के वोटर्स, जो एमसी एरिया के हिस्से नहीं हैं, को नगर निगम के मतदाता होने से रोक दिया गया है. इस प्रकार यह अधिसूचना उस नागरिक के नगर निगम क्षेत्र में वोट देने के संवैधानिक और वैधानिक अधिकार को खत्म करती है जो नगर निगम का सामान्य निवासी होने के साथ-साथ किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र का मतदाता भी है. प्रार्थी का आरोप है कि विवादित अधिसूचना जारी करने की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है. यही नहीं, इसके बाद संबंधित मतदाताओं की आपत्तियां भी मांगी गई. अब हाईकोर्ट में राज्य सरकार व चुनाव आयोग 22 अगस्त को जवाब दाखिल करेगा.
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