हिमाचल में मॉनसून से भारी नुकसान, एक हफ्ते तक जारी रहेगा झमाझम बारिश का दौर, प्रदेश में 25 सडक़ें और 17 ट्रांसफार्मर बंद
हिमाचल प्रदेश में मॉनसून के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में नुकसान का दौर जारी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश में मॉनसून के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में नुकसान का दौर जारी है। शनिवार को सिरमौर जिला में एक सडक़ हादसा पेश आया है। इस सडक़ हादसे में तीन लोगों की मौत हुई है। वहीं ऊना जिला में हुई एक अन्य दुर्घटना में तीन लोग घायल हुए हैं। वहीं प्रदेश में मॉनसून के कारण 25 सडक़ें अभी भी बंद हैं। वहीं 17 ट्रांसफार्मर और 12 वाटर सप्लाई की स्कीमें बंद हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में मॉनसून के कारण अब तक कुल 139 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं छह लोग अभी तक लापता हैं और 217 लोग घायल हुए हैं। मॉनसून के कारण अब तक प्रदेश में कुल 208 गोशालाओं को नुकसान पहुंचा है।
इसके अलावा 24 पक्के मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हंै और 49 कच्चे मकान भी पूरी तरह से ढह गए हैं। इसके अलावा 48 पक्के मकान और 142 कच्चे मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 20 दुकानें और आठ घराटों को भी नुकसान हुआ है। इसके अलावा 14 पुल भी टूट गए हैं। प्रदेश में मॉनसून के बीच बारिश का दौर जारी है। शनिवार को भी राजधानी शिमला सहित प्रदेश के कई क्षेत्रों में बारिश का दौर चला रहा है। बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर थे। वहीं बारिश के कारण धुंध भी छाई रही। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में शनिवार को सबसे अधिक बारिश कोठी में 82 मिलीमीटर, नाहन में 73, कंडाघाट में 68, अगहर में 59, संगड़ाह में 58, कसौली मेंं 56, राजगढ़ में 52, घमरूर में 47, शिमला में 40, हमीरपुर में 36, चौपाल में 32, रामपुर में 31, पांवटा साहिब मे 29, भोरंज में 28, ऊना में 28, भराड़ी में 28, करसोग में 25 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
तीन तक यलो अलर्ट
मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में आने वाले एक हफ्ते तक बारिश का दौर जारी रहेगा। वहीं तीन जुलाई तक मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने यलो अलर्ट जारी किया है। इस बीच प्रदेश के कई क्षेत्रों में भारी बारिश होने की संभावना है। भारी बारिश को देखते हुए पर्यटकों व आम लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि नदी-नालों से दूर रहें। बारिश के कारण नदी नालों में बाढ़ आने की संभावना है। वहीं भू-स्खलन व पहाड़ो से पत्थर गिरने की संभावना भी है। ऐसे में ऐसी जगहों से दूर रहें, जो भू-स्खलन की दृष्टि से संवेदनशील हैं।