पूर्व IAS अधिकारी पर धारा 118 के उल्लंघन के आरोप, 14 साल पहले ली थी जमीन खरीदने की अनुमति
सरकार में कई अहम ओहदों पर कार्यरत रहे एक पूर्व आइएएस अधिकारी अब हिमाचल प्रदेश टेनेन्सी एंड लैंड रिफार्म एक्ट 1972 की धारा 118 के उल्लंघन के आरोप में फंस गए हैं।
शिमला, सरकार में कई अहम ओहदों पर कार्यरत रहे एक पूर्व आइएएस अधिकारी अब हिमाचल प्रदेश टेनेन्सी एंड लैंड रिफार्म एक्ट 1972 की धारा 118 के उल्लंघन के आरोप में फंस गए हैं। गैर हिमाचली होने के कारण उन्हें शिमला में गृह निर्माण के मकसद से जमीन खरीदने के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ी। सात मार्च, 2007 को अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त राजस्व ने सशर्त जमीन खरीदने की अनुमति के आदेश जारी किए, लेेकिन 14 वर्षों बाद भी इस जमीन पर कोई भी गृह निर्माण नहीं हुआ। जबकि अनुमति दो वर्षों की दी गई थी। अब यह मामला राज्य विजिलेंस एंड एटी क्रप्शन ब्यूरो के पास पहुंच गया है। जिस व्यक्ति ने जीपीए के माध्यम से पांच बिस्वा जमीन बेची थी, उसने विजिलेंस से शिकायत की है।
क्या हैं आरोप
आरोप लगाया गया है कि पूर्व अधिकारी ने साइट प्लान स्वीकृत करवाने के लिए जो शपथपत्र दिया है, वह झूठा है। आरोपों के अनुसार इनमें हिस्सेदार दुर्गा को दुर्गा सिंह दर्शाया गया है। जबकि दुर्गा सिंह नाम का कोई भी मालिक नहीं है। दुर्गी देवी जरूर मालिक थी, लेकिन उसकी मौत 26 जुलाई, 2007 से पहले मौत हो गई थी। इसके अलावा शपथपत्र बनाने से पूर्व कृष्ण चंद की मौत हो चुकी थी। शपथ 26 जुलाई, 2007 को तैयार किया गया। शिकायत में कहा गया है कि पूर्व आइएएस ने नगर निगम शिमला को दिए साइट प्लान में शांति देवी के कथित तौर पर जाली तरीके से अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए गए हैं। जबकि वह साक्षर नहीं है। वह अंगूठा लगाती है और अब भी जिंदा हैं। शपथपत्र में शेष 41 हिस्सेदारों के कोई हस्ताक्षर नहीं करवाए गए और ही उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल किया गया। जमीन में 45 हिस्सेदार हैं।
सरकार में निहित हो जमीन
पूरे मामले में राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए हैं। विभाग पर आरोप है कि उसने जमीन खरीदने के लगाई गई शर्तों की उल्लंघना होने के बावजूद जमीन सरकार के हवाले करने के कोई आदेश नहीं दिए।
जमीन बेचने की मांगी अनुमति
पूर्व अधिकारी ने शिमला के डीसी के पास दो अलग-अलग आवेदन किए। पहला आवेदन सात अगस्त, 2019 और दूसरा चार सितंबर, 2019 को किया गया। इसमें उन्होंने डीसी से इस जमीन को बेचने की अनुमति मांगी है। इस आवेदन के जवाब में प्रशासन ने सेल डीड की कापी और खरीदने वाले का कृषक प्रमाणपत्र मांगा। सरकार ने अभी तक बेचने की अनुमति नहीं दी है।
जांच में आरोप सही पाए तो दर्ज होगा केस
विजिलेंस शिकायत की गहनता से जांच करेगा, अगर प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए गए तो उस हालत में एफआइआर दर्ज होगी। उधर, आइजी विजिलेंस रामेश्वर सिंह ठाकुर ने शिकायत आने की पुष्टि की है। उन्होंने इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इंकार किया।