प्रदेश में विलुप्त पीला चमेली फूल रोपेगा वन विभाग, 113 साल बाद भरमौर के जंगलों में मिला
हिमाचल प्रदेश में विलुप्त हो चुके पीले फूल वाला चमेली का पौधा जिला चंबा के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के ग्रीमा में मिला है। वहीं होली घाटी के सुरेई क्षेत्र में भी इस तरह का पौधे होने की सूचना मिली है। लिहाजा वन विभाग विलुप्त हो चुके इस पौधे को अपनी नर्सरियों में तैयार करने जा रहा है। दिसंबर और जनवरी माह में इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। इस प्रजाति को खोजने वाली टीम में सेवानिवृत्त पीसीसीएफ जीएस गौरया, वनमंडलाधिकारी वन्य प्राणी विभाग अमित शर्मा, वनमंडलाधिकारी भरमौर नरेंद्र कुमार व वनरक्षक गजिंद्र शामिल रहे। जानकारी के अनुसार विलुप्त हो चुके पीले फूल वाला चमेली यानि जैसमिन का पौधा 113 साल बाद भरमौर के जंगलों में मिला है। वर्ष 1890 में इस प्रजाति के फूल के पौधे भरमौर के जंगलों में मिले थे। इसके बाद इसके पौधे विलुप्त हो गए। लिहाजा तब से लेकर इस प्रजाति के फूल के पौधे जिला चंबा के जंगलों में कहीं नहीं देखे गए।
हाल ही में वन्य प्राणी विभाग के वनमंडलाधिकारी और उनकी टीम ने भरमौर के जंगलों में पौधों की नई प्रजाति ढूंढने के लिए सर्च अभियान चलाया। इस दौरान टीम को पीली चमेली का पौधा दिखा। फूल की जिस प्रजाति को विलुप्त माना जा चुका था। विभाग ने उसे विभाग ने 113 साल बाद दोबारा ढूंढ निकाला। बताया जा रहा है कि वर्ष 1890 के बाद चंबा के जंगलों में इस प्रजाति के फूल के पौधे का कोई रिकार्ड दर्ज नहीं हुआ। ऐसे में इस विलुप्त प्रजाति के पौधे का भरमौर के जंगलों में मिलना खुशी की बात है। उधर, डीएफओ भरमौर नरेंद्र कुमार का कहना है कि पीले फूल वाला चमेली का पौधा भरमौर के ग्रीमा एरिया में मिला है। उन्होंने कहा कि यह पौधा झाड़ीनुमा डेढ़ फुट के करीब होता है। उन्होंने कहा कि दिसंबर-जनवरी माह में वन विभाग इस पौधे को अपने नर्सरी में तैयार करने जा रहा है। उधर, वनमंडलाधिकारी वन्य प्राणी मंडल चंबा अमित शर्मा का कहना है कि विलुप्त प्रजाति के पौधे मिलना खुशी की बात है। इसके संरक्षण के लिए विभाग योजनाबद्ध कार्य करेगा। (एचडीएम)