जांच में 13 दवा उद्योगों की दवाएं घटिया निकली: केद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन
शिमला: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में हिमाचल के 13 दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं गुणवत्ता के पैमाने पर खरा नहीं उतर पाई हैं। इन दवाओं में हाईबीपी, एलर्जी, गठिया, पेट में संक्रमण, दर्द के उपचार की दवाएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त सीडीएससीओ की पड़ताल में जमू-कश्मीर, तेलंगाना, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बंगलुरू, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब स्थित दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं भी सबस्टैंडर्ड पाई गई हैं। बता दें कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने मई माह में देश के अलग-अलग राज्यों से 1233 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे, जिनमें से जांच के दौरान 41 दवाएं सबस्टैंडर्ड निकली हैं, जबकि 1192 दवाएं गुणवत्ता के पैमाने पर सही पाई गई हैं।
फिलवक्त राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित दवा उद्योगों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सबस्टैंडर्ड दवा उत्पादों का पूरा बैच तत्काल बाजार से हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके अतिरिक्त संबंधित क्षेत्र के सहायक दवा नियंत्रकों को दवा निर्माण इकाई का दौरा कर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के भी निर्देश दिए गए है। जानकारी के मुताबिक मई माह के ड्रग अलर्ट में हिमाचल प्रदेश में बनीं 13 दवाओं समेत 41 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। यहां उल्लेखनीय है कि केंद्रीय नियामक की इस कवायद का मकसद ऐसे तमाम दवा उत्पादों, जो दवा उत्पाद मानक गुणवत्ता की कसौटी पर खरे न उतरे हो, नकली, मिलावटी या मिसब्रांडेड पाए गए हो, की जानकारी देश के तमाम राज्यों के दवा नियामक प्राधिकरण के माध्यम से जनता को देते हुए तत्काल इसकी आपूर्ति व बिक्री पर प्रतिबंध लगाना है, ताकि जनता को जल्द से जल्द ऐसे उत्पादो के इस्तेमाल से रोका जा सके। (एचडीएम)
नोटिस जारी, कड़ी कार्रवाई होगी: स्टेट ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह ने बताया कि सीडीएससीओ दवारा जारी मई माह के ड्रग अलर्ट में शामिल सभी संबंधित दवा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए गए हैं। इसके अलावा सहायक दवा नियंत्रकों से विस्तृत रिपोर्ट भी तलब की गई है। जिन दवा कंपनियों की दवाएं बार-बार सबस्टंैडर्ड निकल रही है, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय व राज्य नियामक दवारा दवाओं की सैंपलिंग जनता को सबस्टैंडर्ड दवाओं के इस्तेमाल से रोकने व जागरूक करने के मकसद से ही की जाती है।