NSUI कार्यकर्ताओं को मारने के लिए कॉलेज के प्रिंसिपल ने निकाला जूता, अब उठी इस्तीफा देने की मांग
कॉलेज के प्रिंसिपल ने निकाला जूता
रामपुर: आप अगर किसी स्कूल या कॉलेज के स्टूडैंट हैं और अपनी किसी मांग या छात्र हित की समस्या को लेकर आप अपने प्रिंसिपल के पास जाते हैं तो आप उनसे यही उम्मीद रखेंगे की वो आपकी समस्या को सुनें और उसका समाधान करें. लेकिन अगर ऐसा करने के बजाए आपके प्रिंसिपल आपके साथ दुर्व्यवहार करें तो आपको कैसा लगेगा ? मामला हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रामपुर का है. बता दें कि रामपुर कॉलेज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
वीडियो में आप देख सकते हैं कि छात्र संगठन एनएसयूआई के कुछ छात्र अपनी किसी मांग को लेकर प्रधानाचार्य के कार्यालय में खड़े हैं और उनसे बात कर रहे हैं. लेकिन इसी दौरान प्रधानाचार्य गुस्सा हो जाते हैं और अपना आपा खो देते हैं. वीडियो में साफ देखा जा (Principal of Rampur College took out shoe to hit NSUI student) सकता है कि प्रिंसिपल द्वारा एनएसयूआई स्टूडेंट को मारने के लिए जूता निकाला गया है. दरअसल, यह पूरा मामला कॉलेज के लवी ग्राउंड में कांग्रेस महिला सम्मेलन के आयोजन को लेकर परमिशन से जुड़ा है. ऐसें में छात्र नेताओं ने कॉलेज में भगवाकरण की राजनीति करने के भी आरोप लगाए हैं.
रामपुर कॉलेज के प्रिंसिपल और एनएसयूआई के बीच विवाद
रामपुर डिग्री कॉलेज के (Rampur Degree College) छात्र संगठन एनएसयूआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि वह ग्राउंड की परमिशन के लिए प्रिंसिपल के पास गए थे. 6 जून को रामपुर में महिला कांग्रेस का सम्मेलन होना था और उसी की परमिशन उन्हें चाहिए थी. लेकिन प्रिंसिपल ने परमिशन देने से मना कर दिया और कहा कि कॉलेज में एग्जाम चल रहे हैं और परमिशन नहीं दी जा सकती है. जबकि 3 जून को इसी ग्राउंड पर सीएम जयराम की रैली हुई थी, और इसके लिए प्रिंसिपल ने परमिशन दी थी. एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है.
इस घटनाक्रम के बारे में प्रेसवार्ता कर जानकारी देते हुए युवा प्रदेश प्रवक्ता पवन चौहान ने कहा कि प्रिंसिपल ने एक शिक्षक की मर्यादाओं को तारतार किया है. एनएसयूआई ने उक्त कॉलेज प्रिंसिपल को मनोचिकित्सक से इलाज करवाने की नसीहत भी दी है. इसके अलावा एनएसयूआई ने तत्काल रूप से कॉलेज प्रिंसिपल के इस्तीफे की मांग की और सरकार व उच्च शिक्षा निदेशक से प्रिंसिपल की इस हरकत के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है और ऐसा न होने की स्थिति में उग्र छात्र आंदोलन की चेतावनी भी दी.