हिमाचल में चुनावी वर्ष के दौरान महंगी बिजली का झटका लगने के आसार कम, अगले सप्ताह तय होंगी दरें

हिमाचल प्रदेश में चुनावी वर्ष के दौरान महंगी बिजली का झटका लगने के आसार कम हैं।

Update: 2022-03-27 04:58 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश में चुनावी वर्ष के दौरान महंगी बिजली का झटका लगने के आसार कम हैं। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 0 से 60 और 61 से 125 यूनिट तक के दो स्लैब की दरें पहले ही सरकार कम कर चुकी है। कोरोना संकट के समय से कम सब्सिडी की मार झेल रहे 125 यूनिट से बड़े स्लैब की दरें बढ़ने की संभावना भी कम लग रही है। आगामी विधानसभा चुनावों के चलते उद्योगों और व्यावसायिक बिजली महंगी करने से भी नियामक आयोग बचेगा। प्रदेश में अगले सप्ताह वर्ष 2022-23 के लिए बिजली दरें तय होंगी। जनसुनवाई करने के बाद आयोग के अधिकारी इन दिनों दरों को तय करने में जुट गए हैं।

25 जनवरी को आयोजित प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश में घरेलू ग्राहकों को 60 यूनिट तक निशुल्क और 125 यूनिट तक एक रुपये प्रति यूनिट बिजली का दाम तय किया है। अप्रैल 2022 से यह व्यवस्था शुरू होगी। मई में जारी होने वाले बिजली बिल इस व्यवस्था के तहत आएंगे। सरकार ने 0 से 60 यूनिट तक खपत करने पर वसूली जाने वाली एक रुपये प्रति यूनिट की दर को निशुल्क कर दिया है। 61 से 125 यूनिट तक 1.55 रुपये की दर को घटाकर प्रति यूनिट एक रुपये कर दिया है।
ऐसे में नई दरों के तहत इन दो स्लैब में बदलाव होने की संभावना नहीं है। 126 यूनिट से श्रेणीवार 300 यूनिट तक के स्लैब की सरकार ने वर्ष 2020 में सब्सिडी घटा दी है। बिजली की अधिक खपत करने वालों को बड़े स्लैब में जाते ही सब्सिडी कम मिलती है। ऐसे में आयोग इस बार दरों में बढ़ोतरी करे, ऐसे आसार कम हैं। इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव भी हैं, ऐसे में बिजली दरों को बढ़ाकर सरकार भी जनता की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहेगी। हिमाचल प्रदेश में करीब 25 लाख घरेलू और अन्य श्रेणियों के उपभोक्ता हैं।
आम आदमी पार्टी की फ्री बिजली का दबाव भी करेगा काम
पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी की हिमाचल प्रदेश में सक्रियता बढ़ गई है। आम आदमी पार्टी बिजली को 100 से 200 यूनिट तक फ्री में देने के पक्ष में बात करती है। ऐसे में सरकार पर आम आदमी पार्टी की रणनीति का दबाव भी है। अगर प्रदेश में बिजली दरें बढ़ती हैं तो आगामी नगर निगम शिमला और विधानसभा चुनावों में विपक्षी दल इसे बड़ा मुद्दा बनाएंगे। इन परिस्थितियों ने हिमाचल सरकार की चिंताएं भी बढ़ाई हुई हैं।
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