टमाटर के बाद अब फूलगोभी के दाम भी औंधे मुंह गिर गए हैं। शुरूआत में 30 रुपये किलो तक बिकने वाली फूलगोभी सोमवार को छह से आठ रुपये किलो तक मंडियों में बिकी। बंपर पैदावार को दाम गिरने का कारण बताया जा रहा है। किसानों का कहना है कि टमाटर के बाद अब फूलगोभी के दाम भी गिर गए हैं। खाद और दवाइयों का खर्च भी नहीं हो रहा है। किसानों ने सरकार को प्रशासन से मांग की है कि फूलगोभी की फसल का न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया जाए। सराज घाटी में फूलगोभी की खेती 153 हेक्टेयर भूमि में की जाती है। करीब 9,100 परिवार फूलगोभी की खेती से जुड़े हुए हैं। हर वर्ष 33 हजार क्विंटल फूलगोभी का उत्पादन होता है। संवाद
पैकिंग का आ रहा 60 रुपये प्रति पेटी खर्च
फूलगोभी का तुड़ान कर किसान परिवार पैदावार घर लाते हैं। उसके बाद उसे पेटियों में पैक कर बाजार में भेज रहे हैं। इसमें पैकिंग का खर्च ही 60 रुपये प्रति एक पेटी आ रहा है। फूलगोभी के दाम में भारी गिरावट होने के कारण किसानों की मेहनत की लागत का पैसा भी नसीब नहीं हो पा रहा है। सराज में फूलगोभी की खेती से 9100 परिवार जुड़े हैं। जो अपनी आजीविका फूल गोभी की फसल से चलाते हैं, लेकिन इस बार उचित दाम नहीं मिलने से किसानों को नुकसान झेलना पड़ा है। - राजेश कश्यप, एसएमएस, कृषि विभाग
खाद, दवाइयों का खर्च भी नहीं निकल रहा
फूलगोभी के दाम में भारी गिरावट आई है। इसके चलते किसानों को खाद और दवाइयों का खर्च भी पूरा नहीं हो पा रहा है। सरकार को चाहिए कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करें ताकि किसान भी अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। -आलम चंद, शिवा खड्ड।
इस सीजन होगा नुकसान
फूलगोभी की फसल अच्छी हुई है। बेहतर कारोबार की उम्मीद है, लेकिन फूलगोभी के दाम छह रुपये प्रतिकिलो मिल रहे हैं। जो लागत लगाई है। उसे भी पूरा करना मुश्किल हो गया है। टमाटर के दाम पहले ही गिर चुके हैं। इस सीजन में नुकसान हो सकता है।- विजय कुमार, कुथाह
फूलगोभी के दाम बहुत ज्यादा गिर गए हैं। कम दाम मिलने से किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है। किसानों ने फसल उगाने में जो खाद, दवाइयां, स्प्रे की है, उसका पैसा भी इकट्ठा करना मुश्किल हो रहा है। परिवार की रोजी रोटी फूलगोभी की पैदावार टिकी है। दुनी चंद, हैंचल