खुले कार्यालयों को बंद करने के आदेशों से जुड़ा है मामला, दफ्तरों की डिनोटिफिकेशन पर सुनवाई टली
शिमला
प्रदेश हाई कोर्ट में नई सरकार द्वारा विभिन्न कार्यालयों को डिनोटिफाई करने और जसवां-परागपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत चुनावों से पूर्व खोले गए एसडीएम कार्यालय कोटला बेहड़ और रक्कड़ सहित डाडासीबा ब्लॉक को बंद करने के आदेशों को चुनौती देने से जुड़े मामले में सुनवाई टल गई है। नई सरकार की ओर से पिछली सरकार द्वारा कार्यालयों को डिनोटिफाई करने के आदेशों को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप और जसवां-परागपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बिक्रम ठाकुर ने चुनौती दी है। प्रार्थीयों ने बिना कैबिनेट बनाए ही पूर्व सरकार के फैसलों को रद्द करने को गैरकानूनी ठहराने की गुहार लगाई है।
सरकार की ओर से महाधिवक्ता द्वारा प्रार्थी की जनहित याचिका दायर करने की योग्यता पर सवाल उठाते हुए याचिका को गुणवत्ताहीन बताया। याचिकाकर्ताओं नेे याचिकाओं में पाई गई त्रुटियों को दूर करने और कुछ संशोधन करने की अनुमति मांगी गई थी। मुख्य न्यायाधीश अमजद ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह अनुमति देते हुए मामले पर सुनवाई सर्दियों की छुट्टियों के बाद निर्धारित की है। कोर्ट ने जरूरत पडऩे पर मामले की सुनवाई छुट्टियों के दौरान बैठने वाली बैंच के समक्ष करने की छूट भी दी है। प्रार्थियों की ओर से याचिका में आरोप लगाया गया है कि नई सरकार ने बिना कैबिनेट बनाए ही पूर्व सरकार द्वारा नए कार्यालयों को डिनोटिफाई करने का फैसला ले लिया, जबकि कैबिनेट के फैसले को कैबिनेट ही रद्द करने की शक्ति रखती है। नई सरकार द्वारा जारी प्रशासनिक आदेशों से कैबिनेट के फैसले को निरस्त नहीं किया सकता। याचिकाओं में दलील दी गई है कि नई सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत कार्य किया है। राज्य सरकार के 12 दिसंबर को जारी प्रशासनिक आदेश को निरस्त करने की गुहार लगाई है। प्रार्थियों का कहना है कि पूर्व सरकार ने सभी फैसले कैबिनेट के माध्यम से लिए थे। 12 दिसंबर को राज्य सरकार ने अप्रैल, 2022 के बाद खोले गए अनेक संस्थानों को बंद करने के आदेश पारित किए है। प्रार्र्थियों की ओर से यह आरोप लगाया गया है कि नई सरकार द्वेष की भावना से कार्य कर रही है।