गांवों में प्लानिंग बंदिशों पर अब कैबिनेट लेगी फैसला

Update: 2023-02-12 11:01 GMT

शिमला: प्लानिंग और स्पेशल एरिया के बाहर पूरे हिमाचल में निर्माण से संबंधित बंदिशें लागू होनी है या नहीं? इस बारे में फैसला अब कैबिनेट लेगी। हिमाचल हाई कोर्ट ने 13 जनवरी, 2023 को कुसुम बाली बनाम राज्य सरकार के केस में पूरे प्रदेश में विकास गतिविधियों को रेगुलेटेड करने के लिए यह आदेश कर रखे हैं। तत्कालीन चीफ जस्टिस ए ए सईद और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ शहरों से लेकर गांव तक में निर्माण गतिविधियों के तहत प्लानिंग संबंधी बंदिशें लगाने के निर्देश दिए हैं। इस केस में अगली सुनवाई 27 मार्च, 2023 को तय हुई है और उसने पहले राज्य सरकार को हाई कोर्ट के इस फैसले पर निर्णय लेना है। हाई कोर्ट ने कहा है कि प्लानिंग एरिया से बाहर भी डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग सभी जिलों के लिए ड्राफ्ट रीजनल प्लान बनाएंगे और इसमें नेचुरल हजाड्र्स प्रोन एरिया इंडिकेट किए जाएंगे।

इस काम को एक साल के भीतर पूरा करने के निर्देश हैं। राज्य में जो क्षेत्र विकास या ग्रोथ के लिए ज्यादा संभावना रखते हैं, उनके लिए भी ऐसे प्लान बनेंगे। इसमें टूरिस्ट क्षेत्र भी शामिल हैं। यह काम चार महीने में करना होगा। डायरेक्टर टीसीपी को अंतरिम डिवेलपमेंट प्लान सभी क्षेत्रों के बनाने होंगे और इस प्लान में नो डिवेलपमेंट जोन प्रदर्शित करने होंगे। इसके लिए भी चार महीने का वक्त दिया गया है। पहले चरण में नो डिवेलपमेंट जोन तीन जिलों में बनेंगे, जहां विकास की ज्यादा संभावना है। यह सारा काम भी एक साल के भीतर करना होगा। हालांकि एनजीटी ने शिमला के डिवेलपमेंट प्लान को पहले ही रोक रखा है। हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि डिवेलपमेंट प्लान नोटिफाई करने के बाद सेक्टरल प्लान भी बनाने होंगे। राज्य सरकार को एक पॉलिसी डॉक्यूमेंट जारी करना होगा, जिसमें निर्माण गतिविधियों के लिए पहाड़ों की कटाई को रोकना होगा। इसमें पर्यावरण विभाग और पोलूशन कंट्रोल बोर्ड को भी साथ लिया जाएगा और दो महीने का समय इसके लिए तय किया है। (एचडीएम)

आदेशों की अवहेलना पड़ेगी महंगी

हाई कोर्ट ने कहा है कि पूरे हिमाचल में पहाड़ों का कटान नहीं होगा, जब तक कि डायरेक्टर टीसीपी इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी न ले लें। ग्रामीण क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश पंचायती राज एक्ट 1994 के तहत भी भवन खड़े करने पर नियंत्रण की संभावना देखी जाएगी, जिसके लिए तीन महीने का वक्त तय किया गया है। हाईकोर्ट का कहना है कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट की धारा 30ए प्लानिंग और स्पेशल एरिया के बाहर भी नियंत्रण का अधिकार देती है। हाईकोर्ट ने यह चेतावनी भी दी है कि इन आदेशों की अवहेलना की गई तो कोई भी कंस्ट्रक्शन डिमोलिशन के लिए ही होगी। कोर्ट ने अपने निर्देशों में यह भी कहा था कि वह विकास के खिलाफ नहीं है, लेकिन हर तरह का विकास रेगुलेटेड होना चाहिए।

हर दो महीने के बाद प्रोग्रेस रिपोर्ट

डायरेक्टर टीसीपी को हर दो महीने के बाद प्रोग्रेस रिपोर्ट भी कोर्ट में रखनी होगी। यदि इन आदेशों में दी गई समय सीमा में यदि कोई परिवर्तन चाहिए हो, तो इसके लिए कोर्ट में एप्लीकेशन लगानी होगी। यही वजह है कि केस की अगली तारीख से पहले राज्य सरकार को यह फैसला लेना है कि कोर्ट के इस आदेश को किस तरह लागू करना है? डायरेक्टर डीसीपी ने प्रधान सचिव शहरी विकास को इस बारे में अवगत करवा दिया है ।

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