भाजपा नेताओं ने श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक पर तिरंगा फहराया. 1992 में कभी मुरली मनोहर जोशी ने यह प्रयास किया था. तब वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. नरेंद्र मोदी उनकी यात्रा (राष्ट्रीय एकता यात्रा) के संयोजक हुआ करते थे. लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है. अब भाजपा इस तिरंगा उत्सव के बहाने अपना प्रभुत्व और दायरा, दोनों का विस्तार दे रही है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर लाल चौक ही क्यों और क्या है इसका ऐतिहासिक महत्व, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.
इंटैक (INTACH) के संयोजक डॉ सलीम बेग कहते हैं, 'श्रीनगर का लाल चौक पिछले 70 सालों में कई राजनीतिक गतिविधियों का गवाह रहा है. यह कश्मीर के इतिहास का हिस्सा बन गया है.' उन्होंने कहा, 'नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला के समय में रूस के 'रेड स्क्वॉयर' से प्रेरित होकर इसका नाम लाल चौक रखा गया था.' अपनी बात को बढ़ाते हुए बेग ने कहा, 'बाद में लाल चौक की शान को बढ़ाने के लिए यहां पर एक क्लॉक टावर बनाया गया ताकि इसकी पहचान दुनिया के बड़े शहरों में शुमार हो सके.' इस टावर को 1979 में एक निजी कंपनी ने बनाया था.
कहा जाता है कि शेख अब्दुल्ला ने यहीं पर देश के पहले प्रधानमंत्री प.जवाहर लाल नेहरू का स्वागत किया था. नेहरू ने यहां से अपना ऐतिहासिक भाषण भी दिया था. अब्दुल्ला ने अपना मशहूर नारा दिया था, 'मन तू शदम, तू मन शादी'. प्रासंगिक यह है कि 1992 में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी ने यहां पर तिरंगा फहराने की कोशिश की थी. प्रशासन ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी थी. उस समय जोशी भाजपा के अध्यक्ष थे और मोदी राष्ट्रीय एकता के संयोजक थे.
नब्बे के दशक में कश्मीर में जब उग्रवाद का उबाल आया, तब लाल चौक का घंटा घर अलगाववादियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया था. लेकिन पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से यहां पर हर साल तिरंगा फहराया जाता है. हाल के महीनों में सेना ने यहां पर 'आखिर कब तक' प्रोग्राम के दौरान भी तिरंगा फहराया था. और अब भाजपा इसके जरिए अपना राजनीतिक आधार फैलाने की कोशिश कर रही है. भाजपा कहती है कि उसके लिए इसका महत्व है, क्योंकि उनके नेता जोशी से लेकर अनुराग ठाकुर तक यहां तिरंगा फहरा चुके हैं.
भाजपा नेता अरुण प्रबात ने कहा कि यहां पर कभी अलगाववाद का बोलबाला हुआ करता था. मुख्य धारा के नेताओं के लिए यहां पर कोई जगह नहीं थी. लेकिन हमने इस सोच को बदल दी. उन्होंने कहा कि हम लोगों के मन से अलगाववाद के बदनुमा दाग को हमेशा-हमेशा के लिए हटा देने के लिए तिरंगा फहराने का उत्सव मनाते हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 1999 के करगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए सोमवार को यहां सिटी सेंटर के लाल चौक से पहली बार मोटरसाइकिल पर तिरंगा यात्रा निकाली. आपको बता दें कि सेना हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाती है. लेकिन अब भाजपा भी इस दिवस को मनाने लगी है. 1999 में भारतीय सेना की टुकड़ी ने पाकिस्तानियों को करगिल के द्रास सेक्टर से मार भगाया था.
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के द्रास क्षेत्र में करगिल युद्ध स्मारक तक के लिए मोटरसाइकिल रैली को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग और बेंगलुरू दक्षिण सीट से सांसद तथा भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने हरी झंडी दिखाई. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लाल चौक के ऐतिहासिक घंटा घर से रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. इस दौरान पूरे इलाके को सील कर दिया गया था. वरिष्ठ अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में सुरक्षा बल मौजूद थे.
सुरक्षा बलों ने घटना पर नज़र रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया. रैली के मद्देनज़र यातायात और सार्वजनिक आवाजाही को परिवर्तित किया गया था. शहर का यह केंद्र तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों का गढ़ हुआ करता था. 2008 और 2010 के दौरान अलगाववादी स्वतंत्रता की मांग को लेकर लाल चौक तक लोगों के मार्च का आह्वान करते थ