शिमला
प्रदेश उच्च न्यायालय ने मैट्रिक के पश्चात पोलिटेक्निक कालेज से प्राप्त तीन वर्ष के सिविल इंजीनियर के डिप्लोमा कोर्स को प्लस टू कला वर्ग के समकक्ष मानते हुए प्रार्थी को कांस्टेबल के पद के लिए कंसीडर करने के आदेश जारी किए हैं। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने अमन शर्मा द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किए। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार राज्य सरकार ने पुलिस विभाग ने 1243 पुलिस कांस्टेबल के पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था। प्रार्थी ने पुलिस कांस्टेबल के लिए आवेदन किया था। पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए न्यूनतम योग्यता जमा दो रखी गई थी। प्रार्थी के अनुसार उसके तीन वर्ष के सिविल इंजीनियरिंग वाली डिप्लोमा को जमा दो के समकक्ष नहीं माना जा रहा है। प्रार्थी ने इस बाबत 22 जनवरी , 2018 को जारी सरकार की अधिसूचना का हवाला देते हुए न्यायालय को बताया कि इस अधिसूचना के मुताबिक तीन साल की सिविल इंजीनियरिंग कोर्स को जमा दो कला वर्ग के समकक्ष माने जाने के आदेश जारी किए हैं । प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए यह पाया कि प्रार्थी का सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा बराबर है और वह पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए पात्रता रखता है।