आइस स्केटिंग रिंक खाली करवाने के आदेशों पर रोक

प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिमला के आइस स्केटिंग रिंक को खाली करवाने के आदेशों पर रोक लगा दी है।

Update: 2022-09-13 03:29 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिमला के आइस स्केटिंग रिंक को खाली करवाने के आदेशों पर रोक लगा दी है। जिला युवा सेवा एवं खेल अधिकारी द्वारा जारी आदेशों के मुताबिक आइस स्केटिंग रिंक को 14 सितंबर तक खाली करवाने के आदेश जारी किए गए थे। न्यायाधीश त्रिलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने नगर निगम शिमला को निर्देश दिया कि वह आइस स्केटिंग रिंक के अंदर रखी सामग्री के बारे में अदालत को सूचित करे। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सभी मौसमों के लिए आइस स्केटिंग रिंक विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग को राज्य सरकार के पास प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी सौंपी गई है। इस पर अदालत ने इस मामले में पर्यटन विभाग को भी पक्षकार बनाया और निदेशक (पर्यटन) को इस मुद्दे पर अदालत की सहायता के लिए 14 सितंबर को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि अब से शिमला आइस स्केटिंग रिंक के अंदर किसी भी तरह का कोई वाहन खड़ा नहीं किया जाएगा। अदालत ने ये आदेश शिमला आइस स्केटिंग क्लब द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किए, जिसमें आरोप लगाया गया है कि तीन सितंबर, 2022 को खेल विभाग ने क्लब के सचिव को दस दिनों के भीतर परिसर खाली करने और कब्जे को सौंपने के लिए एक पत्र जारी किया है। प्रार्थी के अनुसार यह क्लब के साथ हुए समझौते के नियमों व शर्तों का उल्लंघन कर जारी किया गया है।

याचिकाकर्ता ने याचिका में तर्क दिया कि खेल प्राधिकरणों द्वारा जारी निष्कासन आदेश अवैध और मनमाना है। आगे यह तर्क दिया गया है कि रिंक की बेदखली कानून की उचित प्रक्रिया में ही की जा सकती है और किसी अन्य तरीके से नहीं की जा सकती है क्योंकि इस तरह के पत्र अवैध हैं। खेल विभाग कार्यालयों को स्थानांतरित करने के लिए याचिकाकर्ता क्लब को बेदखल कर रहा है, जो अत्यधिक अप्रासंगिक है। यह तर्क दिया गया है कि शिमला आइस स्केटिंग क्लब की स्थापना वर्ष 1920 में ब्लेसिंग्टन द्वारा की गई थी। 1920 की सर्दियों के दौरान टेनिस कोर्ट को आइस स्केटिंग रिंक में बदल दिया था। क्लब पूरे दक्षिण एशिया में अपनी तरह का भारत में स्थापित होने वाला पहला क्लब था। वर्ष 1975 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और क्लब के सचिव के साथ एक पट्टा समझौता किया था। याचिकाकर्ता अपनी खेल गतिविधियों से क्लब को सुचारू रूप से चला रहा है और खेल विभाग को वार्षिक लीज राशि का भुगतान कर रहा है।
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