बद्दी में नकली दवाओं के मामले में एक और बड़ा खुलासा, विभागों के पास नहीं था उद्योग का रिकाॅर्ड
बड़ी खबर
सोलन। देश के सबसे बड़े फार्मा हब में सामने आए नकली दवा के मामले में नित्य नए खुलासे हो रहे हैं। नकली दवाओं का निर्माण ऐसे उद्योग में हो रहा था, जिसका रिकाॅर्ड उद्योग विभाग के साथ-साथ अन्य संबंधित विभागों के पास भी नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि सितम्बर माह में जिस उद्योग के नाम पर प्लाट ट्रांसफर की अनुमति मिली थी, उसकी फीस अब तक जमा नहीं करवाई गई है। उद्योग विभाग ने ट्रांसफर फीस जमा करवाने के लिए कंपनी को पत्र भी लिखा था। हैरानी की बात यह है कि मौके पर अवैध नाम पर उद्योग चला हुआ था, जिसमें नकली दवाओं का निर्माण किया जा रहा था। यह बात अलग है कि मामले का खुलासा होने के बाद अब उस उद्योग को सील कर दिया गया है लेकिन संबंधित विभागों को इसकी भनक न लगने के कारण कई सवाल खड़े हो गए हैं।
सारा इंटरप्राइजिज के नाम से चला था उद्योग
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिस उद्योग में नामी कंपनियों के नाम पर नकली दवाओं का निर्माण हो रहा था, वह उद्योग पहले किसी और कंपनी के नाम था। उस कंपनी ने उद्योग विभाग में ट्राइजल फॉर्मूलेशन के नाम पर ट्रांसफर करने के लिए आवेदन किया था। ट्राइजल फॉर्मूलेशन ही नकली दवाओं के आरोप में पकड़े गए मुख्य आरोपित की कंपनी है। सितम्बर माह से प्लाट ट्रांसफर की फीस जमा नहीं करवाई गई है लेकिन इस मामले में पकड़े गए आरोपियों ने मौके पर सारा इंटरप्राइजिज के नाम पर उद्योग चलाया हुआ था। उद्योग के भवन पर सारा इंटरप्राइजिज के नाम का बोर्ड लगा हुआ है। इस नाम का उद्योग विभाग के साथ-साथ अन्य संबंधित विभाग के पास कोई रिकार्ड नहीं है।
सब गड़बड़झाला
ट्राइजल फॉर्मूलेशन के नाम पर औद्योगिक प्लाट अभी तक ट्रांसफर नहीं हुआ है और बिजली बोर्ड ने रैंट एग्रीमैंट के आधार पर ही उद्योग को 15 किलोवाट का बिजली का कनैक्शन दे दिया। भले ही इसके लिए किसी प्रकार की एनओसी की आवश्यकता नहीं है लेकिन बिजली का कनैक्शन देने मौके पर गए बोर्ड के अधिकारियों या फिर कर्मचारियों ने भी यह नहीं देखा कि उद्योग पर सारा इंटरप्राइजिज का बोर्ड लगा हुआ है जबकि कनैक्शन ट्राइजल फॉर्मूलेशन के नाम पर है। इस पूरे मामले में बड़ा गड़बड़झाला नजर आ रहा है। यही वजह है कि आरोपियों ने प्लाट ट्रांसफर की अनुमति मिलने के बाद भी ट्रांसफर फीस जमा करवाना जरूरी नहीं समझा क्योंकि अवैध नाम पर चलाए जा रहे उद्योग से उनका नकली दवाओं का कारोबार फलफूल रहा था। अब इस मामले को कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। उद्योग विभाग के अधिकारी भी इस मामले में बस इतना कह रहे हैं कि प्लाट ट्रांसफर की अनुमति ट्राइजल फॉर्मूलेशन के नाम पर मिली है लेकिन फीस जमा नहीं करवाई है। इसलिए यह लंबित है। मौके पर चल रहे सारा इंटरप्राइजिज का कोई रिकॉर्ड नहीं है।