वन विभाग के 6.31 करोड़ राख, आग के 2736 मामले आए सामने

Update: 2022-06-28 10:36 GMT

शिमला न्यूज़: प्रदेश भर में फायर सीजन लगभग खत्म हो चुका है, लेकिन आंकड़े डराने वाले सामने आए हैं। वन विभाग को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। हालांकि यह आंकड़े शुरुआती सूचनाओं के आधार पर ही जुटाए गए हैं, जबकि मानसून के प्रभावी होने के बाद वन विभाग दोबारा से इन आंकड़ों की जांच करेगा। अब तक हुए नुकसान की बात करें तो प्रदेश भर में छह करोड़ 31 लाख का नुकसान हुआ है। अग्निकांड की 2736 मामले सामने आए हैं। अग्निकांड की ज्यादा घटनाएं शिमला, सोलन, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी और चंबा जिलों में हुई हैं। यहां चीड़ के जंगलों में भड़की आग से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। वन विभाग के लिए अप्रैल की शुरुआत से ही फायर सीजन शुरू हो जाता है, जो 30 जून तक रहता है। यह तारीख अधिकारिक तौर पर तय है, लेकिन बारिश 30 जून से पहले आने पर फायर सीजन को खत्म मान लिया जाता है।

इस बार 26 जून से बारिश का दौर शुरू हो गया है, जबकि इससे पूर्व फायर सीजन के करीब 85 दिनों में ज्यादातर सूखे ही निकले हैं। यही वजह रही है, जो पूरे प्रदेश में इस बार भयानक अग्निकांड देखने के लिए मिले। अग्निकांड की घटनाओं में वन विभाग के कर्मचारियों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। प्रदेश वन विभाग ने तमाम मामलों को अग्नि ऐप से जोड़ा है। ऐप पर आग लगने के समय से नुकसान का आंकड़ा रेंज ऑफिसर को अपडेट करने के निर्देश जारी किए हैं। इस बार वन विभाग के ज्यादातर अधिकारी ऐप पर सक्रिय रहे हैं और यही वजह है जो अग्निकांड के मामलों में बड़ा उछाल देखने को मिला है। वन विभाग ने इस साल पहली बार हेलिकाप्टर से आग बुझाने का फैसला किया था, लेकिन खर्च ज्यादा बढऩे की वजह से विभाग ने इस निर्णय से हाथ खींच लिए थे। महज ट्रायल के तौर पर शोघी में कुछ समय के लिए हेलिकाप्टर से जरूर उड़ाया गया। हालांकि इसके बाद कसौली में हुए अग्निकांड में वायुसेना के हेलिकाप्टर की मदद से आग जरूर बुझाई गई। (एचडीएम)

मानसून में दोबारा करेंगे आकलन: मुख्य अरण्यपाल अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि अभी तक फायर सीजन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। अधिकारिक तौर पर 30 जून तक फायर सीजन जारी रहेगा। इससे पूर्व बारिश की आशंका बन गई है और इससे प्रदेश भर में आग की घटनाएं नियंत्रित हो जाएंगी। अग्निकांड के मामलों की समीक्षा मानसून सीजन के दौरान भी की जाएगी और इसके बाद ही अग्निकांड से नुकसान का सही आंकड़ा सामने आ पाएगा। फिलहाल, छह करोड़ 30 लाख रुपए का नुकसान अभी तक आंका जा चुका है। भविष्य में इसके और अधिक बढऩे की संभावनाएं बनी हुई हैं।

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