बिलासपुर। हिमाचल में मत्स्य कारोबार की बढ़ोतरी के लिए विभाग ने योजनावद्ध ढंग से कार्य शुरू कर दिया है। इसके तहत इस बार प्रदेश के जलाशयों में 40 लाख 95 हजार मत्स्य बीज डालने की प्रक्रिया चल रही है, जिसके लिए 92.86 लाख का बजट मंजूर हुआ है। खास बात यह है कि शिफरी कोलकाता के एक्सपर्ट की राय पर गोबिंदसागर झील में फिश प्रोडक्शन बढ़ाने के मद्देनजर 100 साइज का बीज डाला जा रहा है, जबकि बाकी जलाशयों में 70 एमएम साइज का बीज डालने की कवायद जारी है। जलाशयों में बीज डालने के लिए दो फर्मों को टेंडर अलॉट किया है। ये फर्में प्रदेश के जलाशयों में बीज डाल रही हैं। इस प्रक्रिया में भारतीय मेजर कार्प, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, रोहू, मृगल और कतला इत्यादि का बीज डाला जा रहा है। अहम बात यह है कि इस बार गोबिंदसागर झील में सर्वाधिक बीज डाला जा रहा है और बीज का आकार सौ एमएम है। बीज डालने की प्रक्रिया चल रही है।
गोबिंदसागर, कोलडैम और पौंग डैम के साथ ही अन्य जलाशयों में बीज डाला जा रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले साल की तुलना में इस बार हालांकि बीज का आंकड़ा कम है, लेकिन मत्स्य विभाग के निदेशक ने और बीज डालने का निर्णय लिया है। इसके लिए जल्द ही राज्य सरकार को बजट अप्रूवल के लिए लिखा जाएगा। उधर, मत्स्य विभाग के निदेशक विवेक चंदेल ने शनिवार को निदेशालय में अपना कार्यभार संभाल लिया है। उन्होंने मंडी के अलसू फार्म का विजिट किया। इसके अलावा उन्होंने जलाशयों में बीज डालने के आंकड़े में और बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है, ताकि राज्य में मछली उत्पादन को बढ़ावा मिल सके। वहीं प्रदेश के जलाशयों में इस बार कुल 40.95 लाख बीज डालने की प्रक्रिया जारी है, जिसके तहत गोबिंदसागर में सर्वाधिक 30 लाख बीज डाला जा रहा है, जबकि कोल डैम में 2.45 लाख, पौंग डैम में 7.30 लाख, चमेरा डैम में एक लाख और रणजीत सागर डैम में 20 हजार मछली बीज डाला जा रहा है। बीज डालने की प्रक्रिया जारी है। शनिवार को कोलडैम में बीज डाला गया है।