हरित बजट में 250 किलोवाट को मिलेगा 40 फीसदी उपदान, पायलट प्रोजेक्ट पर चलेंगी सौर ऊर्जा परियोजनाएं
शिमला: राज्य सरकार प्रदेश के प्रत्येक जिला में पायलट आधार पर दो-दो ग्राम पंचायतों में 500 किलोवाट से एक मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करेगी। सरकार इन्हें हरित पंचायतों के रूप में विकसित करने पर भी विचार कर रही है। मुख्यमंत्री ने अपने पहले हरित बजट में प्रदेश के युवाओं को निजी अथवा पट्टे पर ली गई भूमि पर 250 किलोवाट से दो मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए 40 प्रतिशत उपदान देने के लिए भी प्रस्ताव किया है। राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने के दृष्टिगत चंबा जिला के जनजातीय क्षेत्र पांगी में सौर ऊर्जा पर आधारित बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।
सरकार ने विश्व बैंक की सहायता से 200 करोड़ का हिमाचल प्रदेश ऊर्जा क्षेत्र विकास कार्यक्रम भी प्रस्तावित किया है। इसके अंतर्गत 200 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं और राज्य में 11 उपकेंद्र और 13 शहरों के लिए दो वितरण लाइनों के निर्माण का प्रावधान है। सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन से राज्य में प्राकृतिक और मानव जनित आपदाओं की स्थिति में इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड सिक्योरिटी उपलब्ध होगी। सोलर पैनल ग्रांट के साथ ही सौर ऊर्जा से उत्पादित अतिरिक्त बिजली को विद्युत ग्रिड में भेजने से उपभोक्ताओं के बिजली बिल शून्य होंगे। देश का प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम सतलुज जलविद्युत निगम सीमित प्रदेश में पांच सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करेगा।
ऊना में 112.5 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट
ऊना जिला के थपलान में 112.5 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त ऊना जिला के भंजल और कध में 20 मेगावाट क्षमता, कांगड़ा जिला के फतेहपुर में 20 मेगावाट, सिरमौर जिला के कोलर में 30 मेगावाट और कांगड़ा जिला के राजगीर में 12.5 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं पूर्व निर्माण चरण में हैं।
सौर ऊर्जा संयंत्रों में निवेश करेगी सरकार
सरकार सौर ऊर्जा संयंत्रों में स्वयं भी निवेश करेगी और वर्ष 2023-24 में 500 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से 200 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन स्थापित करेगा।