जबरन धर्मांतरण पर होगी 10 साल की जेल, विधानसभा में ध्वनिमत से विधेयक पारित
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शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मौजूदा धर्मांतरण रोधी कानून में संशोधन के लिए विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। मौजूदा कानून में सजा बढ़ाने का और 'सामूहिक धर्मांतरण' के उल्लेख का प्रावधान है। अधिनियम धोखाधड़ी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन, शादी या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से धर्मांतरण को प्रतिबंधित करता है। हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 में और अधिक कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं। अब 5 साल की जगह 10 साल सजा का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि धर्मांतरण बड़ी समस्या है। इससे आने वाले समय में हिंदुओ की संख्या कम हो जाएगी। इसमें अब ये भी प्रावधान किया गया है कि जो धर्मांतरण करेगा उसको सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेगी, साथ ही गैर-जमानती धाराओं का प्रावधान है। नए संशोधन विधेयक में बलपूर्वक धर्मांतरण के लिए कारावास की सजा को 7 साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल तक करने का प्रस्ताव है। विधेयक में प्रावधान प्रस्तावित है कि कानून के तहत की गई शिकायतों की जांच उपनिरीक्षक से नीचे के दर्जे का कोई पुलिस अधिकारी नहीं करेगा। इस मामले में मुकद्दमा सत्र अदालत में चलेगा। बता दें बीते कल उक्त विधेयक ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधानसभा सदन में पेश किया था।