राज्य में हुआ काम शुरू, सरसों में बायो डीजल के विकल्प की तलाश पर शोध
बायो डीजल के विकल्प की तलाश पर शोध
चंडीगढ़। हरियाणा में सरकार अब सरसों में बायो डीजल का विकल्प तलाशेगी। इसके लिए काम शुरू हो गया है। विदेश में सरसों की तरह के पौधे रेपसीड (कैनोला) से तेल, खल और बायो डीजल बनाया जाता है। इसी तर्ज पर प्रदेश में सरसों पर शोध करके बायो डीजल के विकल्प को तलाशने का कार्य शुरू किया गया है।
इटली और जर्मनी के दौरे से लौटे सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल ने बुधवार को पत्रकारों से विदेश दौरे के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि अनाज के भंडारण और उसे खराब होने से बचाने के लिए विदेश में अत्याधुनिक साइलो तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इन्हीं तकनीकों का अध्ययन करने के लिए प्रतिनिधिमंडल यूरोप गया था। एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंपी जाएगी, ताकि यहां भी अनाज भंडारण के लिए साइलो तकनीक का इस्तेमाल किया जा सके।
डा. बनवारी लाल ने कहा कि इटली और जर्मनी में किसान आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। हमारे किसानों को आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ना चाहिए। शुरुआत में इस खेती से पैदावार जरूर कम होती है, लेकिन प्रदेश सरकार अलग-अलग योजनाओं के तहत किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। भविष्य में यदि किसान आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ते हैं तो प्रदेश सरकार उनके लिए कोई नई योजना लेकर आ सकती है।
मंत्री के अनुसार इससे आमदनी के साथ-साथ लोगों को अच्छा स्वास्थ्य भी मिलेगा। संयुक्त राष्ट्र की फूड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन ने भी भारत में खेती से संबंधित तकनीकी सहायता प्रदान करने का भरोसा दिलाया है। किसानों को पैदावार से लेकर नई-नई तकनीक का प्रशिक्षण, उत्पाद को बेचने के लिए मार्केटिंग के प्रशिक्षण के लिए प्रदेश सरकार विदेशी संगठनों के सहयोग से इस विषय पर काम करेगी।
अनुबंध की खेती बेहतर विकल्प
सहकारिता मंत्री ने कहा कि अनुबंध की खेती (कांट्रेक्ट फार्मिंग) किसानों के लिए बेहतर विकल्प हो सकती है। विदेश में बहुत से किसान समूह बनाकर खेती करते हैं। खेती से जुड़े अलग-अलग काम को श्रेणियों में विभाजित कर पूरा किया जाता है। हमारे यहां भी किसानों को कांट्रेक्ट फार्मिंग के साथ-साथ समूह बनाकर खेती करनी चाहिए। किसान फसल को सीधे मंडी या बाजार में बेचने की बजाय खुद एफपीओ बनाकर फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित कर सकते हैं।