चंद समय में ही सीएम खट्टर की ‘आंख का तारा’ बने तरुण भंडारी

Update: 2023-10-07 10:00 GMT
चंडीगढ़। कभी हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में ऊंचे कद के पदाधिकारी रहे तरुण भंडारी आज भाजपा में हैं और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पब्लिसिटी एडवाइजर के तौर पर काम कर रहे हैं। मृदुभाषी, स्पष्टवादी और उम्दा सोच के चलते कुछ ही समय में तरुण भंडारी ने सरकार के कामकाज को पंख लगाते हुए जहां मुख्यमंत्री के दिल में अपनी जगह बना ली है। वहीं आम जनमानस में भी उनकी एक उजली छवि उभरकर सामने आ रही है। तरुण भंडारी ने कांग्रेस के अनेक कद्दावर नेताओं को बीजेपी में एंट्री करवाकर न केवल अपनी संगठनात्मक क्षमता को प्रदर्शित किया है अपितु वह मुख्यमंत्री के खासम खास बन गए हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री के दौरों के दौरान उनकी उपस्थिति हर जगह पाई जाती है। तरुण भंडारी कांग्रेस में कभी प्रदेशाध्यक्ष रहे डॉ. अशोक तंवर की टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। अशोक तंवर के साथ रहते उन्होंने पूरे प्रदेश की राजनीतिक नब्ज को समझा। तंवर के कांग्रेस छोडऩे के बाद तरुण भंडारी ने भी बीजेपी का हाथ थाम लिया।
बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने अपने साथी कांग्रेस के नेताओं को वहां से निकालकर बीजेपी में एंट्री करवाई जिससे मुख्यमंत्री को उनकी पकड़ का अहसास हुआ। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उन्हें अपनी कोर कमेटी का सदस्य बनाया और अपना पब्लिसिटी एडवाइजर नियुक्त कर लिया। इस पद पर रहते हुए भंडारी ने अलग जगह बनाई और देखते ही देखते वे मुख्यमंत्री के काफी करीब होते गए। आज बीजेपी में तरुण भंडारी एक खास मुकाम रखते हैं। तरुण भंडारी का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल साफ नीति,ईमानदारी छवि,कर्मठ कार्यशैली व बेबाक व्यक्तित्व के मालिक है।उनमें कोई बल चल नही है।भण्डारी ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा सरकार ने अपने काम और योजनाओं से साबित किया है कि वर्तमान सरकार गरीब/वंचित और शोषित वर्ग के लिए अच्छा काम कर रही है। 2014 से पहले समाज का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से अपने अधिकारों से वंचित था। सरकार की योजनाओं का लाभ इस बड़े हिस्से को नहीं मिल पाता था। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान प्रदेश के संसाधनों पर ताकतवर और सरकार के चहेते लोगों का ही कब्जा था। आम हरयाणवी स्वयं को अलग-थलग महसूस करता था। नौकरियों की बंदरबांट में यही ताकतवर और सरकार में रसूख रखने वाले पैसे और सम्बन्धों के आधार पर लाभान्वित होते थे। जिसका सटीक उदाहरण भुपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई एचसीएस की भर्तियां हैं। जिसमें लगभग आधे से ज्यादा चयनित लोग सरकार में शामिल लोगों के बच्चे और रिश्तेदार थे। को घर बैठे मिलता है।
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