फरीदाबाद न्यूज़: अब कुछ भी कहीं भी और कभी भी पढ़ा और सीखा जा सकता है. देश के विश्वविद्यालयों के परंपरागत डिग्री प्रोग्राम्स भी ऑनलाइन उपलब्ध हो रहे हैं, तो अपस्किलिंग और स्पेशलाइजेशन के लिए मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (मूक -MOOC) के देशी और विदेशी मंच शानदार विकल्प बनकर उभरे हैं. मूक के मंचों पर कोर्स की अवधि, पढ़ाई के तरीके और रजिस्ट्रेशन की शर्तों का लचीलापन इन्हें सभी के लिए आसानी से उपलब्ध बनाता है. इनके यूजर छात्रों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. भारत मूक के ऑनलाइन कोर्स का उपयोग करने वाले देशों में दूसरे नंबर पर है, लेकिन अभी भी बतौर यूजर इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 13 फीसदी ही है. वहीं भारतीय मूक प्लेटफॉर्म ‘स्वयम’ की बात करें, तो कोर्स एग्रीगेटर वेबसाइट क्लाससेंट्रल के अनुसार इससे 200 भारतीय विश्वविद्यालयों के 1300 से ज्यादा इंस्ट्रक्टर्स जुड़े हैं. ऑनलाइन शिक्षा के ये विकल्प करियर को आगे बढ़ाने में बहुत सहायक हो सकते हैं, लेकिन इन मंचों के बारे में पूरी जानकारी लेकर ही कोर्स चुनें.
ऑनलाइन डिग्री कोर्स
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के मुताबिक यूजीसी से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से ऑनलाइन या डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से अंडर ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री ले सकते हैं. इसे आप अपने काम के साथ भी कर सकते हैं, अन्यथा इसे डुअल डिग्री के माध्यम से भी कर सकते हैं. जैसे एक नियमित डिग्री पाठ्यक्रम के साथ में एक ऑनलाइन या डिस्टेंस डिग्री कोर्स. इसका एक अच्छा उदाहरण है आईआईटी मद्रास की फुल ऑनलाइन बीएससी इन प्रोग्रामिंग ऐंड डेटा साइंस की डिग्री. इसकी योग्यता शर्तें विशेष नहीं हैं. 12वीं उत्तीर्ण होना चाहिए. छात्र को एक महीना संबंधित विषयों पर ऑनलाइन पढ़ाने के बाद एक परीक्षा लेकर प्रवेश देते हैं. एग्जाम के लिए सेंटर पर जाना पड़ सकता है.
ऐसे किसी भी ग्रेजुएट डिग्री प्रोग्राम की अवधि तीन साल या उससे ज्यादा हो सकती है. ऑनर्स ऐंड रिसर्च के लिए चार साल हो सकती है. इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी भी ऑनलाइन और करेस्पॉन्डेंस दोनों मोड से विविध विषयों में परंपरागत डिग्री प्रोग्राम करा रही है. वहीं डिप्लोमा और सर्टिफिकेशन प्रोग्राम्स अपस्किलिंग के लिए होते हैं. इसे कहीं से भी किया जा सकता है. बीए या एमए जैसे परंपरागत डिग्री कोर्स ऑनलाइन करना चाहते हैं तो संबंधित विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाकर मान्यता और उपलब्धता देखें और फिर ही आवेदन करें.
‘मूक’ कोर्स चुनें, तो ध्यान रखें
मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (मूक) के मंच, जैसे उडेमी, कोर्सेरा आदि तो हैं ही, कई अन्य मंच भी अपस्किलिंग के कोर्सेज उपलब्ध करा रहे हैं. लेकिन हर संस्थान का ऑनलाइन हरेक ऑनलाइन कोर्स गुणवत्ता में खरा हो, जरूरी नहीं. कई बार देखने को मिलेगा जहां एक ही संस्थान डेटा एनालिटिक्स का भी कोर्स करा रहा होगा, तो वहीं कलर थेरेपी का कोर्स भी उपलब्ध होगा. यह ज्यादा से ज्यादा छात्रों को अपने प्लेटफॉर्म पर लाने की कोशिश भी हो सकती है. ऐसे में कंटेंट के साथ कंटेंट की फैकल्टी आदि के बारे में जानें. उस कोर्स के रिव्यू देखें.
पढ़ाई के पैटर्न का निर्णय लें
ऑनलाइन कोर्स की सबसे बड़ी चुनौती होती है कि अधिकतर कोर्स पूरे नहीं किए जाते. कोर्स पूरा जरूर करें. खासकर अपस्किलिंग कोर्सेस सेल्फ गाइडेड, वीडियो लेक्चर, लाइव वेबिनार आदि कई विकल्प में मिल सकते हैं. इंट्रोडक्टरी से लेकर एडवांस कोर्स के तौर पर कोर्स कैटेगरी भी मिल सकती है. कोर्स के बारे में दी गई जानकारी में कोर्स की हरेक यूनिट पर लगने वाला समय आदि भी दिया जाता है. ये सब पहलू देखकर अपने माफिक कोर्स चुनें.
सर्टिफिकेट जरूर लें
अपस्किलिंग के लिए प्रमाणपत्र देने वाला कोर्स करना ही बेहतर होगा. इस तरह भावी नियोक्ता के लिए आपके स्किल्स का आकलन करना आसान होगा. आमतौर पर ऐसे कोर्स निशुल्क होते हैं. सर्टिफिकेट लेने पर शुल्क देना पड़ सकता है. वहीं परंपरागत डिग्री की बात हो, तो मान्यताप्राप्त संस्थान होना अहम है.
अपस्किलिंग के लिए ऑनलाइन कोर्स करना चाहते हैं, तो उडेमी, कोर्सेरा जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकप्रिय हैं. एक आम धारणा के अनुसार इनमें से हरेक मंच क्षेत्र विशेष से संबंधित कंटेंट देता है. जैसे
अपस्किलिंग के लिए चुनें तो
मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (मूक MOOC) वेब आधारित डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम है. अधिकतर मूक कोर्स विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबंधित होते हैं. स्टैनफोर्ड, एमआईटी और हार्वर्ड विश्वविद्यालय उनमें से कुछ ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जो मैसिव ओपन लर्निंग को लेकर खूब काम कर रहे हैं. ये इस माध्यम से विभिन्न वेब प्लेटफॉर्म पर कोर्स उपलब्ध कराने वाले पहले विश्वविद्यालयों में से हैं. कुछ कंपनियां जैसे आईबीएम, लाइनक्स फाउंडेशन भी लर्निंग प्रोग्राम्स इसके माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध कराती हैं. इस समय विश्व की 1200 से ज्यादा विदेशी यूनिवर्सिटीज ने अपने ऑनलाइन कोर्सेज उपलब्ध कराए हैं. एक ओर कोर्सेरा, एडएक्स जैसे बड़े प्लेटफॉर्म इसका हिस्सा हैं, तो कई देशों ने अपने मूक भी तैयार किए हैं. भारत भी उनमें से एक है.