चंडीगढ़ न्यूज़: यह बात हैरत की है कि जंगल में न शिकार की कमी है. न ही पानी की. बावजूद इसके बाघ जैसे बड़े जानवर भूख और प्यास से मर रहे हैं. एक माह में ऐसी दो घटनाओं ने जानकारों को भी अचंभे में डाल दिया है. खास बात है कि जान गंवाने वाले बाघ युवा होकर भी शिकार के लायक नहीं थे. आईवीआरआई की रिपोर्ट के बाद एक्सपर्ट अब इसका कारण तलाशेंगे और एनटीसीए भी इस पर नजर बनाए है.
खीरी जिले में स्थित दुधवा नेशनल पार्क काफी हरा भरा है. यहां शाकाहारी पशुओं के लिए फूड चेन है. पेयजल के लिए नदी है इसके अलावा वाटर होल भी तैयार किए गए हैं. मांसाहारी पशुओं के लिए भी पर्याप्त शिकार की व्यवस्था है. इसके बाद भी दुधवा टाइगर रिजर्व में हाल फिलहाल में बाघों की मौत का जो कारण सामने आ रहा है, उससे पार्क प्रशासन भी दंग है. दुधवा टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल करीब 884 हेक्टेयर है. इसके बाद भी कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें बाघ न सिर्फ बीमार मिले हैं, साथ ही भूखे भी. 21 अप्रैल को बाघ ने वन विभाग की टीम के सामने ही दम तोड़ दिया.
खीरी में मिला तेंदुए का शव
गोला वन रेंज के गांव के बाहर एक तेंदुए का शव पड़ा पाया गया है. उसके शरीर पर चोटों के निशान बताए गए. खीरी जिले में एक हफ्ते में बिल्ली प्रजाति के वन्यजीव की मौत का यह तीसरा मामला है. लगातार हो रही बाघ परिवार की मौतों से वन विभाग और दुधवा टाइगर रिजर्व के सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े हो रहे.