सिपाही भर्ती परीक्षा में कौन किसकी जगह बैठकर परीक्षा देगा, यह मुख्य आरोपी विवेक और उसके साथी भूपेंद्र तय करते थे, जानिए पूरा मामला

ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा

Update: 2022-02-18 13:47 GMT

फिलोए फोटो 

जनता से रिस्ता वेबडेस्क: हरियाणा सिपाही भर्ती परीक्षा में कौन किसकी जगह बैठकर परीक्षा देगा, यह मुख्य आरोपी विवेक और उसके साथी भूपेंद्र तय करते थे, जानिए पूरा मामला। परीक्षा पास कराने के लिए उम्मीदवारों से सौदेबाजी भी नकद भुगतान में ही होती थी, क्योंकि आरोपियों के बैंक खातों की डिटेल खंगालने पर पुलिस को नाममात्र ही ट्रांजेक्शन मिला है। पैसे लेकर नकली परीक्षार्थी से परीक्षा पास कराने के गड़बड़झाले में पुलिस को आरोपियों द्वारा पेपर आउट कराने का भी अंदेशा है। पुलिस इसकी जांच कर रही है। इसको लेकर भी भिवानी पुलिस ने कर्मचारी चयन आयोग से भी परीक्षा का रिकॉर्ड मांगा है।

खरंटी जींद निवासी मुख्य आरोपी विवेक किला जफरगढ़ जुलाना के सरकारी स्कूल में चपरासी लगा है, जबकि उसका साझेदार डालनवास सतनाली महेंद्रगढ़ निवासी भूपेंद्र भी ग्रेजुएट है। विवेक और भूपेंद्र दोनों मिलकर यह भी तय करते थे कि कहां किसके साथ सौदेबाजी होगी।
इस फर्जीवाड़े के भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, जींद और रोहतक से भी तार जुड़े हैं, जहां पर परीक्षार्थियों से पैसे लेकर किसी दूसरे से परीक्षा दिलाई गई है। सिपाही भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े की वजह से हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने परिणाम पर भी फिलहाल रोक लगा दी है, जिसकी वजह से लाखों बेरोजगार युवाओं में भी निराशा है।
भिवानी सिटी पुलिस थाने में 2 जनवरी को सुरक्षा एजेंट की शिकायत पर इस संबंध में एफआईआर दर्ज हुई थी। पुलिस ने सिपाही भर्ती परीक्षा से जुड़े इस फर्जीवाड़े में दो दिन बाद ही पहली गिरफ्तारी कर ली थी। इसके बाद इस फर्जीवाड़े से जुड़ी एक-एक कड़ी पुलिस जोड़ती चली गई और सरगना तक पहुंच गई।
चपरासी विवेक बीएससी पास होने पर खुद फर्जी परीक्षार्थी बनकर भी परीक्षा दे चुका था और यह भी तय करता था कि कौन सा फर्जी अभ्यर्थी और असली अभ्यर्थी किस सेंटर में परीक्षा देगा। इस मामले में अब तक 11 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा 
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि फर्जी परीक्षार्थी को परीक्षा केंद्र में प्रवेश दिलाने से पहले उसके आधार कार्ड और एडमिट कार्ड की फोटो हेरफेर कर दी जाती थी। जिससे असली और नकली परीक्षार्थी के बीच परीक्षा ड्यूटी देने वालों के लिए पहचान कर पाना भी मुश्किल था। परीक्षा में गड़बड़ी की आशंकाओं को रोकने के लिए बायोमैट्रिक को भी शातिर दिमाग गच्चा देने में कामयाब हो गए। क्योंकि असल और नकली परीक्षार्थी की अंगुलियों के निशान भी मशीन में इस तरह से बदलाव कर दिए जाते थे, जिससे उन पर जरा सा भी शक नहीं होता था।
कृष्ण करता था दस्तावेजों में गड़बड़ी, सतपाल बायोमैट्रिक मिलान में माहिर 
महम के बलंभा गांव निवासी कृष्ण असली और नकली परीक्षार्थियों के दस्तावेजों में हेरफेर करता था। असल परीक्षार्थी के आधार कार्ड व एडमिट कार्ड में नकली परीक्षार्थी की फोटो फिक्स कर दी जाती थी, जबकि बहल क्षेत्र के गांव सिंधनवा निवासी सतपाल बायोमैट्रिक में जाली दस्तावेजों के सहारे अंगुलियों के निशानों का मिलान भी करा देता था। इसके बाद एडमिट कार्ड और आधार कार्ड में लगी फोटो से नकली परीक्षार्थी को परीक्षा केंद्र में प्रवेश मिल जाता था और बायोमैट्रिक की गड़बड़ी से फर्जी परीक्षार्थी की अंगुलियों के निशान भी दस्तावेजों से मैच हो जाते थे।
पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा के सरगना विवेक और भूपेंद्र तय करते थे कि कौन किसकी जगह परीक्षा देगा। परीक्षार्थियों से सौदेबाजी नकद में होती थी, जिसका बैंक खातों में कोई जिक्र सामने नहीं आया है। पुलिस ने कर्मचारी चयन आयोग से भी रिकॉर्ड मांग रखा है। जिसके अवलोकन के बाद इसमें कई और भी बातें सामने आएंगी। 
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